बिहार: IRC का हुआ आगाज, 45 दिन में पुल बनकर तैयार करने वाली टेक्नोलॉजी की लगी प्रदर्शनी
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बिहार: IRC का हुआ आगाज, 45 दिन में पुल बनकर तैयार करने वाली टेक्नोलॉजी की लगी प्रदर्शनी

आईआरसी में 95 कंपनियों ने अपने स्टॉल्स लगाए हैं. रोड निर्माण से लेकर रोड सेफ्टी, तटबंध सुरक्षा से लेकर ब्रिजों के निर्माण से जुड़ी कई लेटेस्ट तकनीक का प्रदर्शन प्रदर्शनी में किया गया है. 

80वें इंडियन रोड कांग्रेस का आगाज हुआ.

पटना: बिहार में बाढ़ और उससे आने वाली समस्या नई नहीं है. हर साल बाढ़ के कारण करोड़ों का नुकसान होता है. खासतौर पर बाढ़ के कारण ब्रिजों को होने वाले नुकसान की संख्या काफी ज्यादा होती है. जिसके कारण बाढ़ के बाद महीनों तक यातायात की समस्या रहती है. लेकिन क्या आपको पता है कि बाढ़ के कारण बह चुकी जिस ब्रिज को बनाने में यहां सालों साल लग जाते हैं वो मात्र 45 दिनों में बनाई जा सकती है. पटना में इंडियन रोड कांग्रेस का आगाज कुछ ऐसी तकनीकों के साथ हुआ है.

पटना में 80वें इंडियन रोड कांग्रेस का आगाज हो चुका है. पथ निर्माण विभाग के मंत्री नंद किशोर यादव ने गुरुवार को आईआरसी के तकनीकि सत्र का उद्घाटन किया. पटना में लगने वाले दूसरे आईआरसी में प्रदर्शन के लिए 95 अलग अलग कंपनियों के स्टॉल्स लगाए गए हैं. प्रदर्शनी में कई विदेशी कंपनियां भी शामिल हो रही हैं.

इस मौके पर पथ निर्माण विभाग के मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा कि आईआरसी का फायदा बिहार को काफी मिलेगा. बिहार में कई स्तरों पर पुल और सड़कों के निर्माण का काम चल रहा है. हमारी कोशिश होगी कि उसमें लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जाए. इंडियन रोड कांग्रेस के जरिए हमें उन लेटेस्ट तकनीकों की जानकारी मिलेगी जिसका इस्तेमाल हम राज्य के प्रोजेक्ट्स में कर सकते हैं.

आईआरसी में 95 कंपनियों ने अपने स्टॉल्स लगाए हैं. रोड निर्माण से लेकर रोड सेफ्टी, तटबंध सुरक्षा से लेकर ब्रिजों के निर्माण से जुड़ी कई लेटेस्ट तकनीक का प्रदर्शन प्रदर्शनी में किया गया है. मॉडर्न आर्ज इन्फ्रास्ट्रक्चर की ओर से भी अपने स्टॉल लगाए गए हैं. बिहार में बाढ़ की आनेवाली समस्या को देखते हुए कंपनी की ओर से रोमन तकनीक के जरिए बनने वाली आर्ज ब्रिज का प्रेंजेटेशन भी किया जा रहा है.

कंपनी के एमडी अनुज पुरी बताते हैं कि आर्ज ब्रिज के जरिए बिहार में आने वाली बाढ़ के कारण प्रभावित होने वाली यातायात की समस्या को दूर किया जा सकता है. आर्ज ब्रिज जरुरत के मुताबिक 45 दिनों में तैयार किया जा सकता है. इसके निर्माण में सरिया का इस्तेमाल नहीं होता है. ये ब्रिज प्रीकास्ट और स्टील फ्री होता है.

उन्होंने कहा कि एक बार निर्माण के बाद इसे 120 सालों तक कुछ नहीं हो सकता है. ब्रिज बनाने वाली कंपनी इसके मेंटेनेंस का जिम्मा भी लेती हैं. इस टेक्नोलॉजी के जरिए महाराष्ट्र में 65 ब्रिज बन रहे हैं. इस तकनीक का इस्तेमाल यूके और आस्ट्रेलिया में भी ब्रिज निर्माण के लिए किया जा रहा है. ब्रिटिश सरकार भी अपने जमाने में ऐसे ही पुलों का निर्माण करती थी.

वहीं, आईआरसी में आंध्र प्रदेश से एक विशेष वैन भी प्रदर्शनी के लिए लाया गया है. वैन की खासियत ये है कि सड़क की जांच के लिए ये स्पेशल वैन एक्सरे की तरह काम करता है. न्यूजीलैंड में विकसित इस तकनीक की कीमत 6 करोड़ रुपए आती है. ये तकनीक अब भारत में सड़कों की गुणवत्ता मापने के लिए धीरे धीरे प्रचलित हो रही है. 

फिलहाल दक्षिण के 5 राज्यों में इस वैन का इस्तेमाल किया जा रहा है. एनएचआई ने अपने डेढ़ लाख किलोमीटर की सड़कों में से 3 हजार किलोमीटर की सड़कों की गुणवत्ता की जांच इसी तकनीक के जरिए कराई है.

इंडियन रोड कांग्रेस का विशेष अधिवेशन पटना में 22 तारीख तक चलेगा. शुक्रवार को आईआरसी में शामिल होने के लिए खुद केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी भी पटना पहुंचेगें. उम्मीद की जा रही है कि आईआरसी का 80वां अधिवेशन बिहार के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा.