बिहार: बच्चों के बारे में लिखने-प्रसारित करने से पहले उनके हित का रखें ध्यान: नीरज कुमार
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बिहार: बच्चों के बारे में लिखने-प्रसारित करने से पहले उनके हित का रखें ध्यान: नीरज कुमार

मीडिया के साथ से ही बच्चों का हक़ सुनिश्चित होगा. किसी भी देश का ह्यूमन इंडेक्स इंडिकेटर वह के बच्चों की स्थिति और विकास से जुड़ा होता हैं .

नीरज कुमार ने कहा कि बच्चों और उनके मुद्दों के लिए अलग से एक पन्ना प्रकाशित करना चाहिये.

पटना: बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार  आईपीआरडी, पटना और यूनिसेफ के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित मीडिया कार्यशाला में शामिल हुए. इस दौरान नीरज कुमार ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा खम्बा है और बच्चों के अधिकारों के संरक्षण में इनकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. मीडिया के साथ से ही बच्चों का हक़ सुनिश्चित होगा. किसी भी देश का ह्यूमन इंडेक्स इंडिकेटर वह के बच्चों की स्थिति और विकास से जुड़ा होता हैं. बच्चों के सन्दर्भ में किसी भी घटना की रिपोर्टिंग करते समय मीडिया को यह भी चाहिए कि बच्चों से जुड़े कानून पोक्सो और जे जे एक्ट के बारे में भी रिपोर्टिंग करे.

साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने बच्चों के लिए अलग से बजट बनाया है जिसके अंतर्गत  वर्ष 2017-18 में 12.8% बजट बच्चों के लिए अलग से निर्धारित किया था. उन्होंने कहा कि मीडिया को बच्चों और  उनके मुद्दों  के लिए अलग से एक पन्ना प्रकाशित करना चाहिये. 

इस मौके पर पीआईबी, पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि पिछले 70 सालों से यूनिसेफ बाल अधिकारों पर काम कर रहा है. मीडिया की भूमिका ख़बरों के प्रभावशीलता को बढ़ाना और संवेदनशीलता के साथ लिखना और दिखाना भी है. बच्चों की रिपोर्टिंग को बेहतर करने के लिए मीडिया को विचार करना चाहिए. उनके अधिकार की खबरें भी प्रमुखता के साथ प्रकाशित करना चाहिए. 

यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र पांड्या ने कहा कि बिहार में 46 प्रतिशत से ज्यादा है बिहार में सबसे अधिक है. मीडिया, समाज का आँख और कान होता है. मीडिया की पहुँच नीति निर्धारकों के साथ समाज के हर वर्ग तक होती है.ऐसे में उनकी भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है. यह साल बाल  अधिकार समझौते की 30 वीं वर्षगांठ हैं.  पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि मीडिया को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी के साथ निभानी चाहिए और बाल अधिकार से संबंधित खबरों को तरजीह देनी चाहिए.

कार्यशाला का उद्देश्य के बारे में बताते हुए यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों जैसे स्वास्थ्य, विकास, संरक्षण, सुरक्षा और भागीदारी और उनसे जुड़े अन्य मुद्दों के बारे में जागरूक करना था. ताकि मीडिया बच्चोंच के बारे में और ज्यादा लिखें और उनके बारे में आवाज उठाएं ताकि सरकार और नीति निमाता बचों के मुद्दों को अपने प्राथमिकताओं में शामिल करे .