रांची: इंटरमीडिएट वोकेशनल परीक्षा हुई शुरू, कोरोना काल के बीच दिखा छात्रों का जज्बा
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रांची: इंटरमीडिएट वोकेशनल परीक्षा हुई शुरू, कोरोना काल के बीच दिखा छात्रों का जज्बा

कोरोनाकाल के बीच राज्य भर में आज से मध्यमा ,मदरसा और इंटरमीडिएट वोकेशनल की परीक्षा शुरू हुई है. इंटरमीडिएट वोकेशनल परीक्षा में 765 परीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं तो मदरसा की परीक्षा में 16 हज़ार 995 परीक्षार्थी है तो उधर मध्यमा में 6920 परीक्षार्थी शामिल हो रहे है. वहीं राजधानी रांची में छात्राओं की पढ़ाई को लेकर जज्बे की दो तस्वीर बेहद अलग है.

आज से मध्यमा ,मदरसा और इंटरमीडिएट वोकेशनल की परीक्षा शुरू हुई है.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

रांची: कोरोनाकाल के बीच राज्य भर में आज से मध्यमा ,मदरसा और इंटरमीडिएट वोकेशनल की परीक्षा शुरू हुई है. इंटरमीडिएट वोकेशनल परीक्षा में 765 परीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं तो मदरसा की परीक्षा में 16 हज़ार 995 परीक्षार्थी है तो उधर मध्यमा में 6920 परीक्षार्थी शामिल हो रहे है. वहीं राजधानी रांची में छात्राओं की पढ़ाई को लेकर जज्बे की दो तस्वीर बेहद अलग है.

इंटरमीडिएट वोकेशनल की परीक्षा के लिए रांची हजारीबाग पलामू दुमका और चाईबासा में एक-एक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. जिस में शामिल होने के लिए सुदृढ़ ग्रामीण इलाकों से भी परीक्षार्थी पहुंचे हैं. ऐसे ही एक तस्वीर राजधानी रांची के उर्स लाइन कान्वेंट की है जो परीक्षार्थी के जज्बे को सलाम करती है. दरअसल, खूंटी से आई परीक्षार्थी का 3 महीने का छोटा बच्चा है लेकिन भी पढ़ने के जज्बे ने उन्हें परीक्षा में शामिल करने का हौसला दिया है. 

बच्चे की देखरेख कर रही उसकी मुंह बोली बहन के मुताबिक खूंटी में जो अशिक्षा का अंधेरा है उसे दूर करने के लिए हर कोशिश की जा रही है ताकि आने वाली पीढ़ी को इस अंधेरे मैं ना रहना पड़े. इसीलिए पढ़ लिख कर वह शिक्षक बनना चाहती हैं.

वहीं तीनों परीक्षा में से सबसे ज्यादा 16 हज़ार 995 परीक्षार्थी मदरसा की परीक्षा में भाग ले रहे हैं. जिसके लिए सिमडेगा खूंटी और सरायकेला खरसावां छोड़ सभी जिलों में 1 या उससे अधिक कुल 93 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं मदरसा में वस्तानिया फोकानिया और मौलवी की परीक्षा हो रही है. 

तकनीक के इस युग में मदरसा की परीक्षा पर छात्राओं का कहना है कि मदरसा की पढ़ाई वह इसीलिए कर रहे हैं ताकि अपनी भाषा और अपनी संस्कृति को जिंदा रखा जा सके और आने वाले दिनों में वह शिक्षक बनकर शिक्षा का दीप जलाने की ख्वाहिश रखती हैं. बहरहाल कोरोना काल के दौरान वायरस का खतरा तो है लेकिन भविष्य में कुछ कर गुजरने का जज्बा ही है जो परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचा रहा है.