JDU ने कहा नियोजित शिक्षकों पर सियासत गलत, RJD बोली- हम तो बैठे ही हैं राजनीति के लिए
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JDU ने कहा नियोजित शिक्षकों पर सियासत गलत, RJD बोली- हम तो बैठे ही हैं राजनीति के लिए

आरजेडी ने कहा कि राजनीति के तहत ही शिक्षकों को समान काम समान वेतन नहीं दिया जा रहा है.

नियोजित शिक्षकों को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है.

पटनाः बिहार के नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. वहीं, बिहार में इस मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव के दौरान वैसे भी राजनीति चरम पर है और अब नियोजित शिक्षकों का मुद्दा महागठबंधन के नेताओं के लिए अहम है. इस मुद्दे पर वह लगातार बिहार सरकार के खिलाफ हमला बोल रहे हैं. वहीं, राजनीति क्यों की बात पूछने पर आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि हम तो राजनीति करने के लिए ही बैठे हैं. यह मामला शिक्षकों के भाग्य से जुड़ा है तो उनके भविष्य के लिए राजनीति क्यों नहीं होगी.

शिवानंद तिवारी ने कहा कि सरकार शिक्षकों का हक मार रही है. समान काम के लिए समान वेतन देना सैद्धांतिक है तो फिर क्यों नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राजनीति के तहत ही शिक्षकों को समान काम समान वेतन नहीं मिल रहा है. इसलिए राजनीति के तहत ही उन्हें उनका हक दिलाना होगा. उन्होंने कहा कि राजनीति ही आज तय कर रही है कि बच्चे कितने पैदे होने चाहिए.

तिवारी ने कहा कि आज राजनीति ही सारी चीजें तय कर रही है. एक राजनीति शिक्षकों को हक नहीं देना चाहते और दूसरी राजनीति उन्हें हक दिलवाना चाहिए. तो फिर हम राजनीति क्यों नहीं करें. यह राजनीति का सिद्धांत है.

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वहीं, जेडीयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने युवाओं के लिए रोजगार के लिए नियोजित शिक्षकों की बहाली की थी. सरकार ने फंड से उनके लिए पैसों का इंतजाम किया था और आगे भी कुछ न कुछ उनके लिए किया जा रहा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सियासत करना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि यह बात शिक्षक भी समझ रहे हैं. हालांकि, कुछ शिक्षकों को वह गुमराह करने में कामयाब भी हो जाएंगे.

नियोजित शिक्षकों की राजनीति में कांग्रेस भी कूद गई है. कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि नियोजित शिक्षक को समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए. इसके लिए हम नियोजित शिक्षकों का समर्थन करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया जाएगा. जिससे कि नियोजित शिक्षकों को उनका हक मिल सके.