सीमांचल में जेडीयू नेताओं को नहीं भा रहा है बीजेपी से गठबंधन!
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सीमांचल में जेडीयू नेताओं को नहीं भा रहा है बीजेपी से गठबंधन!

किशनगंज में अजमत एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के बैनर तले सेमिनार के बहाने आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन को कमजोर करने के कयास लगाए जा रहे हैं. सीमांचल के जेडीयू विधायक और कई नेता लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को झटका दे सकते हैं.

सीमांचल में जेडीयू नेताओं को नहीं भा रहा है बीजेपी से गठबंधन!

किशनगंज : किशनगंज में अजमत एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के बैनर तले सेमिनार के बहाने आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन को कमजोर करने के कयास लगाए जा रहे हैं. सीमांचल के जेडीयू विधायक और कई नेता लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को झटका दे सकते हैं.

  1. जेडीयू विधायक मुजाहिद आलम लोकसभा से पहले दे सकते हैं इस्तीफा
  2. बदल सकता ही सीमांचल की राजनीति
  3.  जेडीयू विधायक सरफराज आलम ने भी इस्तीफा देकर लड़ा था लोकसभा उप-चुनाव

सीमांचल से जेडीयू को फिर झटका लग सकता है. मुस्लिम बहुल जिले के जेडीयू विधायकों को बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन हजम नहीं हो रहा है. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बनाने के लिए किशनगंज से जेडीयू के कद्दावर नेताओं ने एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसका विषय था इस्लाम में शिक्षा का महत्व और मानव सेवा.

इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आचार्य प्रमोद कृष्णम पहुंचे थे. उनके किशनगंज आने से सीमांचल की राजनीति में भूचाल सा आ गया और सभी जेडीयू नेता ने बीजेपी के खिलाफ हमला शुरू कर कर दिया. इस दौरान बीजेपी पर आरोप लगाया गया कि मुसलमानों को निशाने पर लेकर उसे आतंकवाद बताया जा रहा है. जेडीयू के प्रदेश उपाध्यक्ष महमूस असरफ ने कहा कि देश का मुसलमान गद्दार नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बॉर्डर से सेना हटा दे देश के 25 करोड़ मुसलमान पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए काफी हैं.

सीमांचल की धरती से जेडीयू को झटका देना पहला मामला नहीं है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी जेडीयू के उम्मीदवार अख्तरुल इमान ने भी चुनाव के कुछ दिन पहले चुनावी जंग से इसलिए बाहर हट गए कि इसका लाभ बीजेपी को मिल सकता था. हाल ही में जेडीयू विधायक सरफराज आलम ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर अररिया से राजद की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े और जीते. अब जेडीयू विधायक मुजाहिद आलम की बारी है. उनका आरजेडी के साथ हाथ से हाथ मिलाना जेडीयू के लिए सही संकेत नहीं है.

उधर अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी का मुद्दा ठंडा पर गया तो आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के विधायक ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का किशनगंज को लेकर कालापानी वाले बयान को अपना राजनीति मुद्दा बनाकर सीमांचल को एक अलग राज्य बनाने की मांग कर दिया.