झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने सभी 6 विधायकों की विधानसभा सदस्यता बरकरार रखने का फैसला सुनाया है.
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रांचीः झारखंड में जेवीएम पार्टी को बड़ा झटका लगा है. जेवीएम के 6 विधायक जो बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनकी सदस्यता को खत्म करने की जेवीएम ने मांग की थी. लेकिन झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने उनकी मांग को खारिज कर दिया है. और सभी 6 विधायकों की विधानसभा सदस्यता बरकरार रखने का फैसला सुनाया है. वहीं, इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह सत्तापक्ष के दवाब में फैसला किया गया है.
दरअसल, 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद 11 फरवरी 2015 को जेवीएम के 6 विधायक दिल्ली में झारखंड के सीएम रघुवर दास की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए थे. जिसके बाद जेवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा अध्यक्ष से सभी 6 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी.
बीजेपी में हटिया से नवीन जयसवाल, चंदनक्यारी से अमर कुमार बाउरी, सिमरिया से गणेश गंजू, डाल्टनगंज से आलोक कुमार चौरसिया, सारठ से आर सिंह और बरकट्ठा से जानकी यादव का नाम शामिल है. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने इस मामले में फैसला करने से पहले न्यायिक सलाह लेने की बात की थी. वहीं, 22 दिसंबर 2018 को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. लेकिन बुधवार 20 फरवरी को इसपर फैसला सुनाते हुए उन्होंने विधायकों की सदस्यता को बरकरार रखने की बात कही.
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के इस फैसले पर कांग्रेस ने कहा है कि यह सत्तापक्ष के दवाब में लिया गया फैसला है. कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दूबे ने कहा कि उन्हें पहले ही पता था कि फैसला यही होना है. इतना पुराने मामले पर 3 साल 10 महीने बाद फैसला देने का यही मतलब है.
उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष के दवाब में अध्यक्ष ने 3 साल 10 महीने बाद यह फैसला सुनाया है. यह फैसला पहले भी हो सकता था, लेकिन सरकार के दवाब में चुनाव के समय यह फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला पहले होता तो हाईकोर्ट जाया जा सकता था. लेकिन अगर अब हाईकोर्ट भी जाएंगे तो 6 महीने लगेंगे.
जेवीएम के 6 बागी विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी. विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने फैसला सुनाया है. पार्टी विरोधी कार्यों की वजह से 6 बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. लेकिन इस मांग को अध्यक्ष ने खारिज कर दिया है. बता दें की 2014 विधानसभा चुनाव के बाद 2015 में जेवीएम के 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. जिसके बाद विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. इस मामले में 22 दिसंबर को सुरक्षित फैसला रखा था.
कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दूबे ने कहा कि 3 साल 10 महीने बाद यह जो फैसला आया है. यह सत्ता के दवाब में आया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला पहले भी हो सकता था लेकिन सरकार के दवाब में अब चुनाव के वक्त यह फैसला दिया है. अब अगर इस मामले को हाईकोर्ट में भी लेकर जाएंगे तो 6 माह लगेगा. इसलिए सत्ता के दवाब में आकर फैसला लिया गया है.