बिहार में महागठबंधन को एक जुट करने के साथ थर्ड फ्रंट की भी सुगबुगाहट दिख रही है.
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नई दिल्लीः बिहार में उपचुनाव होने वाला है साथ ही अगले साल विधानसभा का चुनाव भी है. ऐसे में विपक्षी दल कवायद में जुट गए हैं कि उन्हें आने वाले चुनाव में क्या रणनीति अपनानी है. बिहार में महागठबंधन को एक जुट करने के साथ थर्ड फ्रंट की भी सुगबुगाहट दिख रही है. हम पार्टी के प्रमुख जीतनराम मांझी इसी पेशोपेश में हैं कि उन्हें महागठबंधन के साथ जाना चाहिए या थर्ड फ्रंट के साथ काम करना चाहिए. हालांकि, उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी थी.
जीतनराम मांझी की सियासी नाव किस ओर जाएगी यह किसी को नहीं पता, लेकिन उनकी कवायद कई इशारे कर रहें हैं. उन्होंने महागठबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके साथ लोकसभा चुनाव में धोखा किया गया इसलिए वह अब अकेले चुनाव लड़ेंगे. हालांकि अब उनका कहना है कि महागठबंधन में जब तक सांस तब तक आश की बात है. उन्होंने जो अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की थी वह कार्यकर्ताओं के सेंटीमेंट की बात कही गई थी. अंतिम निर्णय लेना अभी बाकी है.
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन ने कई गलतियां की, साथ ही चुनाव के बाद भी महागठबंधन की बैठक होनी चाहिए थी लेकिन अब तक नहीं हुई अब हो रही है. देखना यह है कि फैसला क्या होता है. साथ ही उन्होंने कहा कि सारी बातों के बाद ही हम पटना में सदस्यता अभियान के बाद सम्मेलन करेंगे और फैसला लेंगे की हमें क्या करना है. मांझी के इन बयानों से साफ है कि वह अभी एक नाव पर सवार होकर चलना नहीं चाहते हैं. वह स्थिति के मुताबिक अपना फैसला लेंगे.
वहीं, मंगलवार को हुई महागठबंधन की बैठक में सबसे बड़ा फैसला सीएम कैंडिडेट को लेकर होना था. लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो सका. तेजस्वी यादव के सीएम कैंडिडेट के लिए महागठबंधन में सहमति नहीं बनी है. हालांकि इस पर अभी और बात होनी बाकी है क्यों कि कांग्रेस का स्टैंड अभी क्लियर नहीं है. मांझी की बात करें तो उन्होंने ने भी खुलकर तेजस्वी यादव को सीएम कैंडिडेट नहीं माना है.
महागठबंधन की कवायद से हटकर जीतनराम मांझी थर्ड फ्रंट के लिए भी उत्सुक दिख रहे हैं. महागठबंधन की बैठक से पहले मांझी ने पप्पू यादव से मुलाकात की. वह पहले भी पप्पू यादव से मिल चुके हैं. लेकिन इन दिनों लगातार हो रही मुलाकात के बीच थर्ड फ्रंट की सुगबुगाहट दिख रही है. क्योंकि पप्पू यादव को महागठबंधन में जगह नहीं मिलेगी यह फैसला लोकसभा चुनाव में ही हो गया था. लेकिन मांझी के तेवर देखकर पप्पू यादव मांझी को शायद मनाने में लगे हैं. क्योंकि वह मांझी के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत कर सकते हैं.
वहीं, सीटों के मामले में धोखा खाए मांझी भी थर्ड फ्रंट के लिए तैयार हो सकते हैं. क्योंकि उन्होंने खुद ही कहा था कि उनके साथ सीटों को लेकर जिस तरह से व्यवहार किया गया वह गलत था. अब वह अकेले ही अपना दम दिखाएंगे. उन्हें जितनी शक्ति होगी उतनी ही सीटों पर अपना दम दिखाएंगे. ऐसे में पप्पू यादव को मांझी को अपने साथ लाने में आसान भी है. और वह उन्हें अपना नेता बनाकर आराम से विधानसभा चुनाव में थर्ड फ्रंट पर बैटिंग कर सकते हैं. साथ ही पप्पू यादव सीपीआई नेता कन्हैया कुमार से भी मुलाकात कर रहे हैं.