बिहार: `चाचा` नीतीश भेद नहीं पाए `भतीजे` तेजस्वी का `चक्रव्यूह`, 5 वजह
जोकिहाट के चुनाव परिणाम पर पूरे बिहार की नजर है. दरअसल, इस सीट पर पिछले चार बार से जेडीयू के प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं, लेकिन इस बार आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने यहां सीएम नीतीश कुमार की पार्टी के प्रत्याशी को हराने के लिए काफी मेहनत की थी.
अररिया: बिहार के अररिया जिले के जोकिहाट विधानसभा सीट पर आरजेडी उम्मीदवार शाहनवाज आलम ने जदयू के मुर्शीद आलम को 41,224 मतों से पराजित किया है. इस उपचुनाव में जदयू को 40,016 और आरजेडी को 81,240 को वोट मिले हैं. जोकिहाट के चुनाव परिणाम पर पूरे बिहार की नजर है. दरअसल, इस सीट पर पिछले चार बार से जेडीयू के प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं, लेकिन इस बार आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने यहां सीएम नीतीश कुमार की पार्टी के प्रत्याशी को हराने के लिए काफी मेहनत की थी. हालांकि अपनी साख बचाने के लिए सीएम नीतीश ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. उपचुनाव होने के बावजूद उन्होंने खुद यहां आकर प्रचार किया था. यानी चाचा-भतीजे ने अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए पूरी कोशिश की है.
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आइए समझते हैं जोकिहाट पर क्यों जीती आरजेडी
मुस्लिम बहुल इलाका है जोकिहाट: इस सीट पर दो लाख 70 हजार वोटर हैं, जिसमें से करीब 70 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है. यहां यादवों की भी अच्छी खासी आबादी है. ऐसे में यहां इस बार आरजेडी का M+Y (मुस्लिम+यादव) समीकरण फीट बैठता है. हालांकि जेडीयू ने भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया था, लेकिन आरजेडी का समीकरण भारी पड़ रहा था. 1969 में बने इस विधानसभा सीट पर हमेशा से मुस्लिम प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं, हालांकि पार्टियां बदलती रही हैं. पिछले चार बार से जेडीयू के प्रत्याशी यहां से जीतते रहे हैं.
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मोहम्मद तसलीमुद्दीन के परिवार का इस सीट पर रहा है दबदबा: जोकिहाट सीट पर मुस्लिमों के बड़े नेता मोहम्मद तसलीमुद्दीन का दबदबा रहा है. अबतक हुए 14 बार हुए विधानसभा चुनावों में नौ बार तस्लीमुद्दीन के परिवार से ही जीतते रहे हैं. इस बार भी आरजेडी के ने तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे शाहनवाज आलम आलम को टिकट दिया है. इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए जेडीयू ने भी तसलीमुद्दीन के परिवार को ही टिकट दिया था. तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम 2010 और 2015 में जदयू के टिकट पर यहां से विधायक बने थे.
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सांसद के छोटे भाई हैं आरजेडी प्रत्याशी: जोकिहाट विधानसभा सीट सरफराज आलम के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. अररिया सीट से सांसद मोहम्मद तसलीमुद्दीन की मौत के बाद आरजेडी ने उनके बड़े बेटे सरफराज आलम को इस सीट से चुनाव लड़ाया था, जिसमें उन्हें जीत मिली थी. अब सरफाराज के सांसद बनने के बाद खाली हुए जोकिहाट सीट पर उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम को आरजेडी ने मैदान में उतारा था.
मार्च से मई के बीच नहीं बदले राजनीतिक समीकरण: इसी साल मार्च में अररिया लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जोकिहाट विधानसभा क्षेत्र से सरफराज आलम को करीब 80 हजार वोट मिले थे. मार्च से मई के बीच ज्यादा समय नहीं बिता है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा था कि जोकिहाट की जनता एक बार फिर से उनके परिवार के प्रति ही भरोसा जताएगी.
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जेडीयू के प्रत्याशी हैं दागदार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपराधियों और अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की बात कहते हैं, लेकिन जोकिहाट पर उनकी पार्टी के प्रत्याशी मुर्शीद आलम के खिलाफ कई मुकदमें दर्ज हैं. इसमें से कई गंभीर मुकदमें भी हैं. वहीं आरजेडी प्रत्याशी शाहनवाज आलम साफ सुथरा चेहरा हैं. तेजस्वी यादव ने प्रचार के दौरान भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया था.