JDU MLA Dr. Sanjeev Kumar: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के मंत्री अशोक चौधरी (Ashok Choudhary) के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले जेडीयू विधायक डॉ. संजीव (JDU MLA Dr. Sanjeev) इस समय सुर्खियों में हैं. अशोक चौधरी द्वारा भूमिहारों को लेकर की गई टिप्पणी को डॉ. संजीव लगातार बहाना बनाते हुए उन्हें टारगेट कर रहे हैं और अशोक चौधरी के प्रमोशन को दुर्भाग्यपूर्ण ठहरा रहे हैं. पिछली बार नीतीश सरकार के विश्वासमत के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग यानी विधायकों की खरीद फरोख्त के जो आरोप लगे थे, उसके छींटे डॉ. संजीव पर भी पड़े थे. खगड़िया के परबत्ता से जेडीयू के टिकट पर जीतने वाले डॉ. संजीव 8 नवंबर, 1979 को पैदा हुए थे. डॉ. संजीव के पिता रामानंद प्रसाद भी उन्हीं के क्षेत्र से 5 बार विधायक और नीतीश सरकार में परिवहन मंत्री भी रहे थे. डॉ. संजीव ने किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल और सेठ गोवर्धनदास सुदंरदास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. अभी वे एक पैथोलॉजी सेंटर चलाते हैं.


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2020 के विधानसभा चुनाव में डॉ. संजीव कुमार ने 77,226 वोट हासिल किए थे और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से मात्र 951 मतों से जीत पाए थे. बोली से मुखर डॉ. संजीव को निर्भीक नेता माना जाता है. जब भागलपुर अगुवानी पुल का पिलर गिरा था, तब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की थी कि इसके लिए सड़क निर्माण विभाग को जिम्मेदार ठहराया जाए. 


हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप


हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों ने तूल पकड़ा तो जेडीयू एमएलए सुधांशु शेखर ने बताया था कि पूरे मामले में जेडीयू विधायक डॉ. संजीव कुमार की भूमिका संदिग्ध है. आरोप था कि डॉ. संजीव भी जेडीयू के कई विधायकों को राजद के पक्ष में वोट करने के लिए लालच दे रहे थे. सुधांशु शेखर ने हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर एक मुकदमा भी दर्ज कराया था, जिसकी जांच अब ईडी ने अपने हाथों में ले ली है. 


सुधांशु शेखर का कहना था कि हमारी ही पार्टी के विधायक डॉ. संजीव कुमार और राजद के इंजीनियर सुनील निवासी पटना किदवईपुरी और अन्य सहयोगियों ने आपराधिक साजिश करते हुए अपहरण की घटना को अंजाम दिया, जिसके परिणामस्वरूप बीमा भारती तो किसी तरह विधानसभा पहुंच गईं लेकिन दिलीप राय नहीं पहुंच पाए. 


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अमेरिका में सम्मानित भी हुए 


17 अक्टूबर, 2022 को विधायक डॉ. संजीव कुमार का अमेरिका के न्यूजर्सी में सम्मान भी किया गया. न्यूजर्सी में विधायक डॉ. संजीव ने बिहार में निवेश बढ़ाने और उद्योग धंधे स्थापित करने को लेकर उपस्थित लोगों से अपील की थी. इसकी कार्यक्रम में उनका सम्मान किया गया था. डॉ. संजीव ने उद्यमियों से बिहार और खासतौर से पर​बत्ता में निवेश के लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया था. उद्योगपतियों ने डॉ. संजीव की अपील पर हामी भी भरी थी.


चंद्रशेखर पर बिगड़ गए थे


बिहार में महागठबंधन की तत्कालीन सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के रामचरितमानस पर दिए बयान पर डॉ. संजीव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. दरअसल, पटना के ज्ञान भवन में नालंदा विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ​दीक्षांत समारोह में राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा था, रामचरितमानस समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा से रोकता है. चंद्रशेखर ने मनुस्मृति और रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ करार दिया था. 


इस पर डॉ. संजीव ने कहा था, सनातन धर्म के होकर भी जिस तरह कुछ लोग रामचरितमानस पर अनाप शनाप बोल रहे हैं, इससे लगता है कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. उन्होंने कहा था कि भीड़ की ताली के बीच ऐसे बयान देना गलत है. शिक्षा मंत्री से गलती हुई है तो माफी मांगनी चाहिए. माफी नहीं मांग सकते तो बेहतर होगा कि वे सनातन छोड़ इस्लाम धर्म अपना लें. वे ईसाई भी बन सकते हैं.


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डॉ. संजीव ने कहा था, शिक्षा मंत्री जी! आपका बयान न केवल हिंदू बल्कि सभी धर्मों के लोगों को आहत करने वाला है. डॉ. संजीव ने यह भी कहा था, रामचरितमानस केवल धर्मग्रंथ नहीं, एक शिष्टाचार और जीवनशैली को सिखाने वाला ग्रंथ है.


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