भगवान शिव के जयकारों से गूंजा कोडरमा मंदिर का शिवालय, जानें मंदिर की विशेषता
Koderma Ghodsimar Dham Temple: कोडरमा के घोड़सिमर मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती है. सावन में श्रद्धालु बड़ी तादात में शिवलिंग पर जल का अभिषेक करते है. मंदिर के पुजारी के अनुसार यह मंदिर प्राचीन काल से है. इस मंदिर में पूजा करने है श्रद्धालुओं की इच्छा पूरी होती है.
कोडरमा: कोडरमा में एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसे लोग देवघर के बाबा मंदिर के रूप में भी जानते हैं. इस मंदिर में भगवान शिव का विशाल शिवलिंग स्थापित है, जो दिन के चारों समय अलग-अलग रंगों में नजर आता है. यह मंदिर धार्मिक आस्था के साथ-साथ पुरातात्विक महत्व भी रखता है.
सावन की दूसरी सोमवारी पर शिव भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में देखने को मिलती है. घोड़सिमर मंदिर कोडरमा के सतगावां प्रखंड में स्थित है और यहां के पुजारी विवेकानंद पांडेय के अनुसार इस मंदिर की कई विशेषताएं हैं. भगवान भोले को यहां घोड़मेश्वर बाबा के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर अति प्राचीन है और इसकी गहरी ऐतिहासिक महत्वता है. मंदिर का शिवलिंग 5 फिट ऊंचा और आयताकार है. इसे लेकर एक दिलचस्प कथा भी है. कहा जाता है कि लंकाधिपति रावण जब भगवान शिव का शिवलिंग लेकर जा रहे थे, तो उन्होंने इसी स्थान पर रुककर इसे स्थापित कर दिया था. तभी से इस स्थान पर पूजा-अर्चना होती आ रही है.
श्रद्धालु बंटी ओझा बताते हैं कि कोडरमा जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर और गया से देवघर जाने वाली सड़क पर दुम्मदुमा गांव के पास स्थित घोड़सिमर मंदिर की आस्था पूरे कोडरमा जिले और दूसरे राज्यों में भी फैली हुई है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं. यहां भगवान शिव के शिवलिंग के अलावा हजारों मूर्तियां भी हैं. पुराणों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में इस मंदिर के साथ-साथ 108 अन्य मंदिरों की स्थापना की थी.
इनपुट - जी बिहार झारखंड
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