सुप्रीम कोर्ट से आनंद मोहन को बड़ा झटका, पासपोर्ट जब्त करने का आदेश, थाने में लगानी होगी हाजिरी
Bihar News: पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य को गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह की समय से पहले रिहाई पर आगे हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए थे, जिन्हें 1994 के तत्कालीन गोपालगंज जिला मजिस्ट्रेट की हत्या के मामले में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था.
Bihar News: आनंद मोहन सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. जी कृष्णैया हत्याकांड मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस जवाब मांगा है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन की रिहाई मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को फटकार लगाई. साथ ही आनंद मोहन का पासपोर्ट जल्द जब्त करने का आदेश दिया.
दरअसल, पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है. कोर्ट ने आनंद मोहन को तत्काल अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने नेता को हर 15 दिन में स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट करने का भी आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अपना रुख साफ करने के लिए एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा है कि बाद में कोई और अवसर नहीं दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जी. कृष्णैया की पत्नी उमादेवी की दायर पर दिया है. अब इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 27 फरवरी तय की गई.
दरअसल, पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य को गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह की समय से पहले रिहाई पर आगे हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए थे, जिन्हें 1994 के तत्कालीन गोपालगंज जिला मजिस्ट्रेट की हत्या के मामले में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने तब एक याचिका पर आदेश पारित किया था. जिसमें बिहार जेल मैनुअल में हालिया संशोधन के माध्यम से पूर्व सांसद आनंद मोहन को दी गई छूट को चुनौती दी गई थी.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आधिकारिक रिकॉर्ड तक पहुंच के संबंध में बिहार सरकार से संपर्क करने का निर्देश दिया और मामले को 26 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. राज्य की ओर से पेश होते हुए बिहार के स्थायी वकील मनीष कुमार ने तर्क दिया कि रिकॉर्ड केवल अदालत के अवलोकन के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे.
वरिष्ठ अधिवक्ता लूथरा ने रिकॉर्ड के आसपास की गोपनीयता पर सवाल उठाया और कहा कि वह रिकॉर्ड तक पहुंच से इनकार करने में राज्य की जुझारूपन को नहीं समझ सकते. इसके बाद बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह आरटीआई के तहत आवेदन करें. वकील मनीष कुमार ने सुप्रीम से मामले पर अतिरिक्त जानकारी के साथ एक और हलफनामा दायर करने की अनुमति मांगी.
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बता दें कि एक निचली अदालत ने 2007 में इस मामले में आनंद मोहन को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था. बिहार सरकार की तरफ से जेल मैनुअल के नियमों में संशोधन करने और कई दोषियों को छूट देने के बाद गैंगस्टर से नेता बने को रिहा कर दिया गया.