Bihar Politics: बिहार एमएलसी चुनाव में अगड़ों के नाम पर एनडीए और इंडी अलायंस में सिर्फ एक नाम बीजेपी के मंगल पांडेय का दिखता है. 11 सीटों के हिसाब से यह अनुपात 10 फीसद से थोड़ा कम है.
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Bihar Politics: लोकसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान भले ही ना हुआ है, लेकिन सियासी तपिश साफ महसूस की जा रही है. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने से बीजेपी का एक और बड़ा चुनावी मुद्दा पूरा हो चुका है. बीजेपी इसी मुद्दे को लेकर ही मैदान में उतरने वाली है. तो वहीं बिहार में मंडल-कमंडल की राजनीति को एक बार फिर से हवा दी जा रही है. जातीय सर्वे के बाद से प्रदेश में फॉरवर्ड पॉलिटिक्स हाशिये पर जाती नजर आ रही है. बिहार एमएलसी चुनाव में इसके संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं. विधान परिषद की 11 सीटों पर हो रहे चुनाव में जनरल कैटेगरी से सिर्फ एक कैंडिडेट को मौका मिला है और उसे भी बीजेपी ने टिकट दी है.
बीजेपी की सूची में मंगल पांडेय को छोड़ कर लालमोहन गुप्ता, अनामिका सिंह, हम पार्टी से संतोष सुमन दलित व पिछड़े समाज से ही आते हैं. इसी तरह जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार के अलावा खालिद अनवर और रविंद्र प्रसाद सिंह हैं. इसमें से नीतीश कुमार और रविंद्र प्रसाद सिंह पिछड़े वर्ग से आते हैं, जबकि खालिद मुस्लिम समाज से हैं. वहीं तेजस्वी यादव ने जब से राजद की कमान संभाली है, वे आरजेडी को MY की छत्रछाया तक सीमित नहीं रखना चाहते हैं. वे कभी आरजेडी को A to Z की पार्टी कहते थे. तो अब MY-BAAP की पार्टी बताने में लगे हैं. हालांकि, राजद की लिस्ट में MY से आगे निकलने का कोई प्रयास नजर नहीं आया. अलबत्ता तेजस्वी ने एक भी अगड़े को टिकट नहीं देकर साबित कर दिया कि BAAP सिर्फ जुमला है.
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राजद ने जिनको टिकट दिया है उनमें अब्दुल बारी सिद्दीकी और फैसल अली मुस्लिम कोटे से आते हैं. तो राबड़ी देवी और शशि यादव बिरादरी के हैं. उर्मिला ठाकुर अति पिछड़े समाज से आती हैं। माले ने भी जिसे उम्मीदवार बनाया है, वह भी यादव समाज का ही है. इस तरह से एमएलसी चुनाव में साफ हो गया कि अब बिहार की राजनीति पिछड़े-अति पिछड़े के इर्द-गिर्द ही रहेगी. अगड़ों के नाम पर एनडीए और इंडी अलायंस में सिर्फ एक नाम बीजेपी के मंगल पांडेय का दिखता है. 11 सीटों के हिसाब से यह अनुपात 10 फीसद से थोड़ा कम है. इस अनुपात से सवर्ण समाज को तकलीफ जरूर हुई होगी, लेकिन जातीय सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद इसे गलत भी नहीं ठहराया जा सकता है. जातीय सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 15.52 प्रतिशत सवर्ण हैं. जिनमें भूमिहारों की आबादी सिर्फ 2.86 प्रतिशत है. ब्राह्मण 3.66 प्रतिशत हैं तो वहीं राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी और कायस्थ 0.6011% हैं.