यादव वोटों को लेकर भाजपा के सारे प्रयोग फेल हो गए, क्या लालू प्रसाद यादव के वोट बैंक में सेंध लगा पाएंगे मोहन यादव?
Lok Sabha Elections 2024: मोहन यादव बिहार आ चुके हैं और यहां वे यादव वोटों को भाजपा की ओर खींचने की कोशिश करेंगे. इससे पहले भी भाजपा ने बिहार के यादव वोटबैंक को प्रभावित करने के लिए कई यादव नेताओं को आगे किया, लेकिन लालू प्रसाद यादव के वोटबैंक को भाजपा आज भी डिगा नहीं सकी है.
पटनाः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव बिहार दौरे पर हैं. मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद यह उनका पहला बड़ा राजनीतिक दौरा है. मोहन यादव को जब मुख्यमंत्री बनाया गया था, तभी से राजनीतिक पंडितों ने कयास लगाना शुरू कर दिया था कि यह यूपी और बिहार की यादव राजनीति को ध्यान रखकर लिया गया फैसला है. और अब यह हकीकत बनती दिख रही है. मोहन यादव बिहार आ चुके हैं और यहां वे यादव वोटों को भाजपा की ओर खींचने की कोशिश करेंगे. इससे पहले भी भाजपा ने बिहार के यादव वोटबैंक को प्रभावित करने के लिए कई यादव नेताओं को आगे किया, लेकिन लालू प्रसाद यादव के वोटबैंक को भाजपा आज भी डिगा नहीं सकी है. इसलिए भाजपा के लिए बिहार अब भी अबूझ पहेली बना हुआ है. पूरे हिंदी पट्टी में भाजपा का डंका बज रहा है लेकिन बिहार में भाजपा आज भी अकेले दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिख रही है.
भाजपा ने इससे पहले बिहार में यादव नेताओं की बड़ी फौज खड़ी की थी. नित्यानंद राय, हुकुमदेव नारायण यादव, रामकृपाल यादव, अशोक यादव, भूपेंद्र यादव आदि नेताओं को बड़े मौके दिए गए. नित्यानंद राय तो इस समय केंद्रीय गृह मंत्रालय में गृह मंत्री अमित शाह के डिप्टी की भूमिका निभा रहे हैं. भूपेंद्र यादव भी मोदी सरकार में मंत्री पद संभाल रहे हैं. रामकृपाल यादव अभी भाजपा से सांसद हैं. इतने मौके मिलने के बाद भी ये पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ते हैं और जीतते हैं. इनमें से शायद ही कोई ऐसा नेता है, जो पीएम मोदी के चेहरे के बगैर चुनाव में विपक्षी दलों को धूल चटा सके.
हाल ही में बिहार में हुए जातीय जनगणना में यादव करीब 14 फीसद बताए जा रहे हैं. ये विशुद्ध रूप से लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के कोर वोटर माने जाते हैं. लालू प्रसाद यादव और उनके बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने बिहार में जो 15 साल राज किया, उसका एकमात्र कारण यादवों का एकमुश्त वोटबैंक ही रहा. भाजपा लंबे समय से इस कोशिश में लगी है कि यादव वोटों में सेंधमारी की जाए, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पा रही है. अब मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव के बहाने यादवों को एक बार फिर लुभाने की तैयारी हो रही है. यह तो समय ही बताएगा कि भाजपा के मोहन यादवों को किस हद तक लुभा पाते हैं.
यह भी पढ़ें- 'एतना जल्दी कहां हो पाता है...' शीट शेयरिंग पर लालू यादव के बयान के बाद नीतीश कुमार से मिले कांग्रेस नेता