Mahabharat Bheem Power Story in Hindi: महाभारत के भीम के बारे में कौन नहीं जानता, जो इतना शक्तिशाली था कि हाथी भी उससे टकराने से डरते थे. आखिर भीम में इतनी ताकत आई कहां से, आज हम इसका रहस्य आपको बताने जा रहे हैं.
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How Bhim Get strength Equal to Thousands of Elephants: पांचों पाण्डव यानी युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव जब छोटे थे तो वे पितामह भीष्म और विदुर की छत्रछाया में धीरे-धीरे बड़े हो रहे थे. उन पांचों में भीम सर्वाधिक शक्तिशाली थे. वे दस-बीस बालकों को सहज ही गिरा देते थे. दुर्योधन वैसे तो पांचों पाण्डवों से ईर्ष्या करता था किन्तु भीम के इस बल को देख कर उससे बहुत अधिक जलता था. वह भीमसेन को किसी भी प्रकार मार डालने का उपाय सोचने लगा. इसके लिये उसने एक दिन युधिष्ठिर के समक्ष गंगा तट पर स्नान, भोजन तथा क्रीड़ा करने का प्रस्ताव रखा जिसे युधिष्ठिर ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.
दुर्योधन ने खिला दिया विष मिला भोजन
गंगा के तट पर दुर्योधन ने विविध प्रकार के व्यंजन तैयार करवाए. स्नानादि के पश्चात् जब सभी ने भोजन किया तो अवसर पाकर दुर्योधन ने भीम को विषयुक्त भोजन खिला दिया. भोजन के पश्चात् सब बालक वहीं सो गए. भीम को विष के प्रभाव से मूर्छा आ गई. मूर्छित हुए भीम को दुर्योधन ने गंगा में डुबा दिया. मूर्छित अवस्था में ही भीम डूबते-उतराते नागलोक में पहुंच गये. वहां पर उन्हें भयंकर विषधर नाग डसने लगे. विषधरों के विष के प्रभाव से भीम के शरीर के भीतर का विष नष्ट हो गया और वे सचेतावस्था में आ गये. चेतना लौट आने पर उन्होंने नागों को मारना आरम्भ कर दिया और एक के पश्चात् एक नाग मरने लगे.
नागराज वासुकी ने भीम को बना लिया अतिथि
भीम के इस विनाश लीला को देख कर कुछ नाग भागकर अपने राजा वासुकी के पास पहुंचे और उन्हें समस्त घटना से अवगत कराया. नागराज वासुकी अपने मन्त्री आर्यक के साथ भीम के पास आए. आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया और उनका परिचय राजा वासुकि को दिया. वासुकि नाग ने भीम को अपना अतिथि बना लिया. नागलोक में आठ ऐसे कुण्ड थे, जिनके जल को पीने से मनुष्य के शरीर में हजारों हाथियों का बल प्राप्त हो जाता था. नागराज वासुकि ने भीम को उपहार में उन आठों कुण्डों का जल पिला दिया. कुण्डों का जल पी लेने के बाद भीम गहन निद्रा में चले गये. आठवें दिन जब उनकी निद्रा टूटी तो उनके शरीर में हजारों हाथियों का बल आ चुका था. भीम के विदा मांगने पर नागराज वासुकी ने उन्हें उनकी वाटिका में पहुंचा दिया.
महाभारत युद्ध में दुर्योधन का किया संहार
उधर सो कर उठने के बाद जब पाण्डवों ने भीम को नहीं देखा तो उनकी खोज करने लगे और उनके न मिलने पर राजमहल में लौट गये. भीम के इस प्रकार गायब होने से माता कुन्ती अत्यन्त व्याकुल हुईं. वे विदुर से बोलीं, "हे आर्य! दुर्योधन मेरे पुत्रों से और विशेषतः भीम से अत्यन्त ईर्ष्या करता है. कहीं ऐसा तो नहीं है कि उसने भीम को मृत्युलोक में पहुँचा दिया?" उत्तर में विदुर ने कहा, "हे देवी! आप चिन्तित मत होइये. भीम की जन्मकुण्डली के अनुसार वह दीर्घायु है तथा उसे अल्पायु में कोई भी नहीं मार सकता. वह अवश्य लौट कर आयेगा. इस प्रकार हजारों हाथियों का बल प्राप्त कर के भीम लौट आए और बाद में महाभारत युद्ध में दुर्योधन का संहार कर उसके कुकर्मों का दंड दिया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)