Bihar Political Crisis: राजद आज भी बहुमत के करीब है और उसे सरकार बनाने के लिए केवल 6 से 8 विधायकों का ही सहारा चाहिए. लालू प्रसाद यादव विधानसभा अध्यक्ष का महत्व समझते थे और आज के दिन के लिए ही उन्होंने अवध बिहारी चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया था.
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Bihar Political Crisis: उछलकूद वाली राजनीति के मास्टर नीतीश कुमार एक तरफ भाजपा और दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव को इसलिए बेवकूफ बनाते रहे हैं, क्योंकि भाजपा और लालू एक दूसरे के साथ नहीं जा सकते. इसी का फायदा उठाकर नीतीश कुमार कभी राजद तो कभी भाजपा के डाल पर बैठकर अपना उल्लू सीधा किया है. आज भी वे यही करने जा रहे हैं. राजद से मन उकता गया तो भाजपा के साथ, भाजपा से मन उकता गया तो राजद के साथ. कभी कभी इस तरह की उछलकूद में आदमी कुछ ऐसी गलतियां कर बैठता है, जो बाद में जाकर भारी पड़ जाती है. कुछ इसी तरह की गलती नीतीश कुमार ने 2022 में की थी. उस समय भाजपा की ओर से विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए विजय कुमार सिन्हा की जगह राजद के अवध बिहारी चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष बनवा दिया था. इसके लिए लालू प्रसाद ने खास तौर से जिद की थी, तब भी नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव की मंशा समझ नहीं पाए थे.
उधर, लालू प्रसाद यादव विधानसभा अध्यक्ष का महत्व समझते थे और आज के दिन के लिए ही उन्होंने अवध बिहारी चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया था. जब से नीतीश कुमार के पाला बदलने की चर्चाएं शुरू हुई हैं, तब से लालू प्रसाद यादव लगातार अवध बिहारी चौधरी के संपर्क में हैं. लालू प्रसाद यादव को पता है कि विधायकों को इधर उधर करने या फिर किसी तरह का तिकड़म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सबसे मजबूत कड़ी साबित हो सकते हैं.
राजद आज भी बहुमत के करीब है और उसे सरकार बनाने के लिए केवल 6 से 8 विधायकों का ही सहारा चाहिए. कांग्रेस और वामदलों को मिलाकर राजद के पास 114 विधायक हैं. जीतनराम मांझी के बेटे संतोष मांझी को डिप्टी सीएम बनाने का ऑफर दिए जाने की खबरें हैं. अगर मांझी राजद के साथ आ जाते हैं तो राजद के पास 118 विधायक हो जाते हैं. एक विधायक एआईएमआईएम का है, जो पूर्व में राजद में रह चुके हैं. मौका मिलने पर वह भी राजद का समर्थन कर सकते हैं. एक निर्दलीय विधायक भी है. इस तरह राजद के पास 120 विधायकों का समर्थन हो जाएगा.
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अगर लालू प्रसाद अपनी तिकड़म से जेडीयू के कुछ विधायकों से इस्तीफा दिलवा देते हैं तो राजद की ओर से तेजस्वी यादव आसानी से सरकार बना सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो यह नीतीश कुमार के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है. इससे उनकी सरकार तो चली ही जाएगी, पार्टी बचाना भी भारी पड़ सकता है.