पटना : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बुधवार को सहयोगी दलों के साथ बैठक कर सरकार गठन को लेकर चर्चा की. अब अगली बैठक 7 जून को सुबह 11 बजे बुलाई गई है, जिसमें NDA की संसदीय दल के नेता शामिल होंगे. 7 जून को पीएम मोदी को NDA के घटक दल का नेता चुना जाएगा. सूत्रों के हवाले से खबर है कि नरेंद्र मोदी 8 जून को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इधर, नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण तक दिल्ली में रह सकते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू के नवनिर्वाचित सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे. सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार केंद्रीय कैबिनेट में तीन मंत्री पद चाहते हैं. उन्होंने यह फॉर्मूला अपनाया है कि चार सांसदों पर एक मंत्री पद दिया जाए.


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इसके अलावा भाजपा के पास लोकसभा स्पीकर का पद होने से जेडीयू को कोई ऐतराज नहीं है. दूसरी ओर चंद्रबाबू नायडू ने अपनी पार्टी के लिए लोकसभा स्पीकर का पद मांगा है. दोनों नेताओं ने एनडीए सरकार को समर्थन देने के लिए हस्ताक्षर किए हैं. नीतीश कुमार का दिल्ली में रहना कई मायनों में महत्वपूर्ण हो सकता है. इससे वे एनडीए के अन्य नेताओं के साथ सीधे संपर्क में रह सकेंगे और सरकार गठन की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा सकेंगे. नीतीश कुमार की इस पहल से यह भी स्पष्ट होता है कि वे अपनी पार्टी और बिहार के हितों को सर्वोपरि रखते हैं.


जेडीयू के नवनिर्वाचित सांसदों के साथ नीतीश कुमार की बैठक का उद्देश्य पार्टी की आगामी रणनीति पर चर्चा करना है. यह बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि पार्टी केंद्रीय सरकार में अपनी भूमिका कैसे निभाएगी. नीतीश कुमार का केंद्रीय कैबिनेट में तीन मंत्री पद मांगना पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पार्टी के प्रभाव और राज्य के विकास को बढ़ाने में मदद करेगा. इस पूरी घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि एनडीए के भीतर विभिन्न दल अपने-अपने हितों और मांगों को लेकर सक्रिय हैं. चंद्रबाबू नायडू द्वारा लोकसभा स्पीकर पद की मांग और नीतीश कुमार का केंद्रीय मंत्री पद की मांग करना इसी का हिस्सा है. इन मांगों और दावों से एनडीए सरकार की संरचना और शक्ति संतुलन पर असर पड़ सकता है.


नीतीश कुमार का दिल्ली में रहना और जेडीयू के सांसदों के साथ बैठक करना बिहार और केंद्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इन घटनाओं से आने वाले समय में क्या परिणाम निकलते हैं और नीतीश कुमार अपनी पार्टी और राज्य के हितों को कैसे साधते हैं.


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