Purnia Lok Sabha Seat: पूर्णिया में दावेदारी को लेकर महागठबंधन में ही काफी भिड़ंत देखने को मिला है. अब पप्पू यादव की निर्दलीय उम्मीदवारी ने यहां के मुकाबले को रोचक बना दिया है.
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Purnea Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए शुक्रवार (26 अप्रैल) को मतदान होने वाला है. इस चरण में बिहार की पांच सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इनमें किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, पूर्णिया और बांका शामिल हैं. इस बार पूर्णिया लोकसभा सीट सबसे ज्यादा हॉट सीट में शुमार है. इसका कारण हैं पप्पू यादव. इस सीट ने राजनीति की महत्वाकांक्षाओं, रिश्ते, अपमान और बदला लेने के सियासी दांव-पेंच को सार्वजनिक कर दिया है. आलम ये हो चला है कि अब अपनी जीत से ज्यादा दूसरे की हार के लिए जोर-आजमाइश हो रही है.
पूर्णिया से पप्पू यादव चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने चुनाव से ठीक पहले अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय भी कर लिया. इसके बाद भी राजद अध्यक्ष लालू यादव ने उनके साथ खेला कर दिया और महागठबंधन में पूर्णिया सीट को अपने पास रख लिया. लालू यादव ने यहां से बीमा भारती को खड़ा किया है. इस झटके के बाद पप्पू यादव ने निर्दलीय मैदान में अड़े हुए हैं. वहीं एनडीए की ओर से जेडीयू के सिटिंग सांसद संतोष कुमार कुशवाहा पर भरोसा जताया गया है.
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संतोष कुशवाहा लगातार दो बार से जीत रहे हैं. पिछले चुनाव में संतोष कुमार कुशवाहा ने कांग्रेस उम्मीदवार उदय सिंह को हराया था. कुशवाहा को 6,32,924 वोट मिले हुए थे. कांग्रेस उम्मीदवार उदय सिंह को 3,69,463 वोट मिले थे. 18 हजार से ज्यादा लोगों ने NOTA का बटन दबाकर उम्मीदवारों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी. इस तरह से कुशवाहा को 2,63,461 वोटों से जीत हासिल हुई थी. 2014 के चुनाव में भी जेडीयू के संतोष कुमार कुशवाहा ने बीजेपी उम्मीदवार उदय सिंह को 1,16,669 वोटों से हरा दिया था. 2014 में संतोष कुशवाहा को 4,18,826 वोट मिले हुए थे. बीजेपी के उम्मीदवार उदय सिंह को 3,02,157 वोट मिले हुए थे.
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सीमांचल की यह सीट MY समीकरण का केंद्र मानी जाती है. यहां यादव और मुस्लिम आबादी के हाथ में पूरी तरह से राजनीति को बदलने की ताकत है. वहीं यहां SC-ST और OBC वोटर भी बड़ी संख्या में हैं वह यहां निर्णायक भूमिका में रहते हैं. यहां राजपूत और ब्राह्मण वोटर की भूमिका भी बड़ी रही है. यहां करीब 7 लाख के आसपास यहां मुस्लिम वोटर हैं. दूसरे नंबर पर दलित और आदिवासी वोटर हैं जिनकी संख्या 4 लाख के आसपास है. इसके बाद तीसरे नंबर पर यादव वोटर हैं जिनकी संख्या करीब डेढ़ लाख है. वहीं, अति-पिछड़ा, ब्राह्मण और राजपूत वोटरों की संख्या सवा लाख से डेढ़ लाख के बीच में है.