मृतक के बेटे की जुबानी, मधुबनी नरसंहार की खौफनाक और दिल दहलाने वाली कहानी
Madhubani Murder: मैं जब खाना खाकर लौटा तो देखा गोली की बिंदास फायरिंग हो रही थी. गोली माथा, छाती और मुंह के सामने मारी गई थी, पेट फाड़ दिया था, मेरे बड़े पापा को काट दिया, हाथ सहित सबकुछ निकाल दिया गया था, मेरे बड़े पापा तो वहीं दम तोड़ दिए. लेकिन मेरे पाप बच जाते. उन्होंने दम नहीं तोड़ा था.
Patna: बिहार में 'सुशासन' का राज है! इसके दावे तमाम बार सत्तापक्ष की ओर से बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से किए जाते हैं. लेकिन बीते दिनों राज्य के मधुबनी में हुए निर्मम हत्याकांड ने सरकार दावों की पोल खोल दी. मधुबनी में हुए हत्याकांड ने जहां विपक्ष राजनीति करने से बाज नहीं आ रहा है तो वहीं, सीएम ने न्याय का आश्वासन दिया है. इस बीच, ज़ी मीडिया ग्राउंड जीरो पर पहुंचा और निर्मम हत्याकांड की पड़ताल करते हुए पीड़ितों का दुख-दर्द जाना.
ज़ी मीडिया ने जब मृतक के बेटे से बात की तो उसने उस दिन का एक-एक दृश्य बताया. पीड़ित बच्चे ने कहा कि मेरे पापा बच जाते लेकिन डॉक्टरों ने उनका इलाज नहीं किया. बेटे विक्रम सिंह ने कहा, 'ये पहले सुनाई नहीं पड़त था, ये जैसे फिल्म में नहीं होता है वैसे हुआ. मैं घर में था जब ये घटना हुई. जब गोली की फायरिंग हुई तो मैंने मम्मी से कहा कि फायरिंग हो रही है. लेकिन जब तक हम सब पहुंचे तब तक सबको मौंत की नींद सुला दिया था.'
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विक्रम ने कहा, 'पापा होली मनाने गए थे. लेकिन मैं जब खाना खाकर लौटा तो देखा गोली की बिंदास फायरिंग हो रही थी. गोली माथा, छाती और मुंह के सामने मारी गई थी, पेट फाड़ दिया था, मेरे बड़े पापा को काट दिया, हाथ सहित सबकुछ निकाल दिया गया था, मेरे बड़े पापा तो वहीं दम तोड़ दिए. लेकिन मेरे पापा बच जाते. उन्होंने दम नहीं तोड़ा था, उन्हें पांव में गोली लगी थी वो हल्का ही था, उसका टेंशन नहीं था अगर ये लोग पांव से गोली निकाल देते न, तो मेरे पापा बच जाते.'
विक्रम ने आगे कहा, 'डॉक्टर इलाज किया ही नहीं, पट्टी बांध दिया, सुईया दे दिया और भेज दिया...अरे गोली भी थोरा निकाल देते तब न दम रहता.. पापा तो खा-पीकर भी नहीं गया था. मेरे पापा को तो 6-7 गोली लगा था...मेरे बड़े पापा को 9-9 गोली माथे पर मार दिया था और चाकू से गर्दन काट दिया था.'
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जब ज़ी मीडिया ने विक्रम से पूछा कि वो कैसी सजा की मांग करते हैं तो विक्रम ने कहा, 'मैं चाहता हूं कि अपराधियों का बीच रोड पर Encounter किया जाए.' विक्रम ने कहा, 'मेरे छोटे पापा बच जाते...डॉक्टर लोग ने इलाज नहीं किया, डॉक्टर लोग भी मिले हैं. यहां से पारस हॉस्पिटल ले जाते तो बच जाते. मेरे छोटे पापा तीन दिन जिंदा रह गए होता लेकिन गोली नहीं निकाला गया...जिससे देह में जहर हो गया था. मैं पढ़ाई करना चाहता हूं, मेरे सारे भाइयों को पढ़ाया जाए और मेरी मम्मी को सरकारी नौकरी मिलना चाहिए.'
गौरतलब है कि मधुबनी के बेनीपट्टी थना क्षेत्र में होली के दिन यानी 29 मार्च को अंधाधुंध गोलीबारी कर एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में घायल एक व्यक्ति का अभी भी इलाज चल रहा है.