Mithila Makhana: मिथिलांचल में पर्व त्योहार के अवसर पर मखाना का डिमांड काफी ज्यादा बढ़ जाता है. खासकर कोजागरा पर्व को लेकर मखाना फल का काफी डिमांड है. कोजागरा पर्व में नवविवाहित दूल्हा के घर पर लोगों को मखाना प्रसाद के रूप में दिया जाता है.


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मिथिला के मखाना की पहचान देश- विदेशों में है. मखाना की खेती मिथिलांचल में व्यापक स्तर पर होती है. मखाना फल को लेकर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी गुणवत्ता को देखते हुए इसे विश्व स्तर पर ब्रांडिंग करने की बात कही है.


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जिससे मिथिलांचल के मखाना व्यापारी और किसानों को भी बढ़ावा मिलेगा. मखाना की पहचान मिथिला से है और मखाना के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत मिथिलांचल में तैयार होता है. मिथिला की संस्कृति, मान-सम्मान, पर्व-त्योहार से जुड़ा मखाना है.


व्यापारियों की माने तो मखाना का देश विदेश में हमेशा डिमांड रहता है, लेकिन अभी पर्व त्योहार को लेकर मखाना का डिमांड बढ़ गया है. दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, दीपावली, महापर्व छठ में मखाना का काफी डिमांड है. 


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खासकर मिथिलांचल में इसी माह होने वाले कोजागरा पर्व में मखाना का डिमांड काफी बढ़ जाता है और मूल्य में भी बेतहाशा बृद्धि हो जाती है. किसानों ने बताया इस वर्ष बारिश कम होने की वजह से मखाना की खेती पर कुछ असर पड़ा है, जिसके कारण कीमत में भी बृद्धि हुई है.


अभी अच्छे क्वालिटी के मखाना की कीमत 1300 रुपये प्रति किलो है. हालांकि, मिथिला के मखाना की गुणवत्ता और स्वाद औरों से अच्छी होती है. यहां के किसानों को मखाना की खेती में पूर्ण कौशल हासिल है. मिथिलांचल की पहचान ही पान, मखान, मछली और मधुबनी पेंटिंग से है. 


इनपुट - बिंदु भूषण


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