बिहार: सैकड़ों किसानों को मशरूम से हो रही बंपर कमाई, युवा इंजीनियर ने दिखाया रास्ता
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बिहार: सैकड़ों किसानों को मशरूम से हो रही बंपर कमाई, युवा इंजीनियर ने दिखाया रास्ता

प्रभात कुमार ने कहा कि इसलिए हमने एक समर्थ संस्था बनाया, जिसके अंतर्गत हमने गांव-गांव में जाकर किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए जागरूक किया और देखते ही देखते सैकड़ों किसान मशरूम की खेती करने लगे और वह चौगुना कमा रहे हैं.

इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर शख्स किसानों से करवा रहा है मशरूम की खेती.

गया: आज के समय में खेतों में खर्च के अनुपात में मुनाफा नहीं होने के चलते किसान भी अपनी खेती में बदलाव करने लगे हैं. वहीं, सब्जी आदि की खेती में लगातार इजाफा हो रहा है. किसान भी मानते हैं कि अब कठिन परिश्रम से सब्जी आदि की खेती से ही अपने परिवार को चलाया जा सकता है.

हालांकि, इसके लिए उन्हें खेतों की फसल सुरक्षा के लिए कई तरह की व्यवस्था करनी होती है. अभी के समय में सब्जी खेती की ओर ज्यादा संख्या में युवा ही भाग रहे हैं. इसके बदौलत वे न सिर्फ अपनी बेराजगारी दूर कर रहे हैं, बल्कि पूरे परिवार को भी आर्थिक संकट से उबार रहे हैं. जिसमे अधिकांश युवा किसानों का रुझान मशरूम उत्पादन की ओर बढ़ा है.

इधर, इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर युवा किसान प्रभात कुमार ने मशरूम पर ज्यादा फोकस किया है. उनका मानना है कि किसान धान व गेहूं की फसल का तीन से चार महीने कड़ी मेहनत के बाद उसे पैसा मिलता है, लेकिन मेरी सोच है कि कम लागत में और कम मेहनत में मशरूम की खेती कर प्रतिदिन 4 से 5 हजार रुपए वह कमा सकते हैं. इसलिए सबसे पहले हमने गया जिला के 40 किमी दूर कोच प्रखंड के बड़गांव में मशरूम की खेती किया और उसे बाजारों में बेचना शुरू किया, तो देखा कि मशरूम की डिमांड काफी बढ़ गई है.

प्रभात कुमार ने कहा कि इसलिए हमने एक समर्थ संस्था बनाया, जिसके अंतर्गत हमने गांव-गांव में जाकर किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए जागरूक किया और देखते ही देखते सैकड़ों किसान मशरूम की खेती करने लगे और वह चौगुना कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गया में वृहद पैमाने पर नकार्ड के सहयोग से मशरूम की खेती करने लगे हैं. जिसमें 600 किसान के साथ 50 हजार बैग डालकर 40 गांव में 26 कलेक्स्तर बनाकर मशरूम रखा जा रहा है.

हालांकि अभी तक 50 किलो मशरूम निकल रहा है, लेकिन गया में 3 लाख से भी ज्यादा मशरूम की खपत होती है. युवा इंजीनियर ने कहा कि हम लोग किसानों से ही मशरूम खरीदते हैं और उसे बाजार में बेचते हैं ताकि किसान को मशरूम बेचने में कोई दिक्कत ना हो. उन्होंने कहा कि भारत सरकार का भी मानना है कि किसान दोगुना कमाए, लेकिन हम चाहते हैं कि किसान दोगुना नहीं बल्कि 10 गुना कमाए जो मशरूम की खेती का पूरा कर सकते हैं. यही वजह है कि महादलित लोग भी अपने घरों में मशरूम की खेती कर रहे है.

उन्होने बताया कि मशरूम की खेती करने में मेहनत काफी कम लगती है, इसमें खेती के लिए मात्र आधा घंटा समय देना पड़ता है, जबकि धान और गेहूं में काफी मेहनत लगता है. इसके लिए हम लोगों को प्रभात कुमार के द्वारा घर में ही मशरूम की खेती करने का ट्रेनिंग दिया गया. इसलिए हम लोग घर में ही मशरूम की खेती कर रहे हैं .

वहीं, सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे है युवा किसान ने बताया कि हम नोकरी के लिए कई बार प्रयास किया लेकिन नहीं हुआ तो हम अब मशरूम की खेती करने लगें और इससे से काफी फायदा हो रहा है.

बरहाल, जिस प्रकार आज के प्रवेश में किसान आधुनिक तकनीक से खेती कर मुनाफा कमाने में जिस तरह आगे बढ़ रहे हैं और पौराणिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर कदम से कदम उठा लिया है, उससे आने वाले बिहार में कृषि के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान स्थापित करने का काम हो रहा हैं. इससे गांव नहीं-नहीं बल्कि बिहार के भी किसान की किस्मत खुश हाल होगा और बिहार भी अन्य राज्यों की तरह आधुनिक तकनीक से खेती करने में आगे होगा.