पटना में फॉरच्यूनर की शुरुआती कीमत जहां 27 लाख से ज्यादा है. वहीं इनोवा की शुरुआती कीमत 14 लाख रूपए हैं. अगर इन गाड़ियों की कीमत को जोड़ दिया जाए तो ये लागत एक करोड़ से ज्यादा है.
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पटना: पटना नगर निगम में कई योजनाएं पैसे के अभाव में अटकी पड़ी हैं या उस पर काम की रफ्तार बहुत धीमी है. लेकिन दूसरी ओर इसके मेयर, डिप्टी मेयर और स्थाई समिति के सदस्यों को बड़ी गाड़ियां दी गई है. आम लोगों की सुविधा के नाम पर जो गाड़ियां इन्हें उपलब्ध कराई गई हैं. उसकी कीमत लाखों में हैं.
दरअसल सितंबर-अक्टूबर महीने में हुए जलजमाव से निपटने के लिए नगर निगम के पास जरूरी उपकरण नहीं थे. नगर निगम द्वारा कहा गया था कि उसके पास पैसे नहीं हैं. लेकिन पैसे की तंगी की बात कहने वाली नगर निगम ने पटना के महापौर और उप महापौर को फॉरच्यूनर जैसी महंगी कार दी है. जबकि स्थाई समिति के सात सदस्यों को इनोवा गाड़ी दी गई.
पटना में फॉरच्यूनर की शुरुआती कीमत जहां 27 लाख से ज्यादा है. वहीं इनोवा की शुरुआती कीमत 14 लाख रूपए हैं. अगर इन गाड़ियों की कीमत को जोड़ दिया जाए तो ये लागत एक करोड़ से ज्यादा है. जरा सोचिए सेवा के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई का किस तरह मखौल उड़ाया जा रहा है. पटना नगर निगम में सशक्त स्थाई समिति के नाम पर एक अहम बॉडी है जिसमें सात सदस्य होते हैं.
इस मामले में सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने कहा कि पदाधिकारियों को एजेंसी के जरिए गाड़ी मिली हैं. महापौर और उप महापौर को जो गाड़ी मिली है वो खऱीदी गई थीं. स्थाई समिति और दूसरे अधिकारियों को एजेंसी से गाड़ी मिली है और उसका भुगतान निगम करता है.
वहीं, पार्षद सूचित्रा सिंह ने कहा कि ये गाड़ी हमारी ही है. निगम से ये गाड़ी इस्तेमाल के लिए मिली है. इससे मीटिंग में शामिल होने में सुविधा होती है. इससे जनता की समस्याओं भी आसानी से कहीं जाकर सून लेती हूं.
इधर, पटना नगर निगम के आयुक्त अमित कुमार पांडेय से ने स्वीकार किया कि स्थायी समिति सदस्यों को जो गाड़ियां मिली हैं, वो सरकारी पैसों खर्च करके ही मिली होगी. लेकिन अगले ही पल वो कहते हैं कि मुमकिन है कि किराए पर किसी एजेंसी से गाड़ी लेकर स्थाई समिति के सदस्यों को दी गई होगी