बिहार: काउंसलिंग की तारीख बार-बार बदलने से परेशान हो रहे हैं मेडिकल के छात्र
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बिहार: काउंसलिंग की तारीख बार-बार बदलने से परेशान हो रहे हैं मेडिकल के छात्र

बीसीईसीई भले ही तकनीकी खामियों का वास्ता दे रहा हो लेकिन तकलीफों का सामना तो छात्रों को करना पड़ रहा है.

अरविंद कुमार चौधरी के मुताबिक, पहले फेज में 225 सीटों पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला हो चुका है.

पटना: बिहार में सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों की मुसीबत कम नहीं हो रही है. काउंसिलिंग की तारीख बार-बार बदलने से जहां अभ्यर्थी परेशान हैं और वो बीसीईसीई पर सीट आवंटन पर घालमेल का आरोप लगा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर बीसीईसीई तकनीकी खामियों के कारण काउंसिलिंग की तारीख में तब्दीली का तर्क दे रहा है. बिहार में सरकारी, निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला जारी है. राज्य के सरकारी निजी, मेडिकल कॉलेजों में इंजीनियरिंग, मेडिकल, एग्रीक्लचर विभाग में दाखिले की जिम्मेदारी बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद यानि बीसीईसीई पर है. लेकिन, छात्रों के दाखिला लेने में बीसीईसीई के पसीने छूट रहे हैं.

 

कुछ की शिकायत थी कि उन्हें कौन से मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना है, इसके लिए मैसेज भी उनके मोबाइल पर आ गया. जब वो पटना पहुंचे तो उन्हें नामांकन रद्द होने की जानकारी दी गई. छात्रों ने बीसीईसीई पर सीट आवंटन में घालमेल का भी आरोप लगाया है. छात्रों के आरोपों में कितना दम है, ये जांच की बात हो सकती है. लेकिन, बीसीईसीई भी अपनी कमजोरी मान रहा है. बीसीईसीई के परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार चौधरी के मुताबिक, पहले फेज की काउंसिलिंग में सीट मैट्रिक्स में कुछ तब्दीली करनी पड़ी, जिसके कारण काउंसिलिंग रद्द की गई. अरविंद कुमार चौधरी के मुताबिक, दूसरी राउंड की काउंसिलिंग कल यानि 23 अगस्त से शुरू हुई लेकिन, कुछ छात्रों का एडमिशन उनके नंबर के मुताबिक बढ़िया कॉलेज में नहीं हो सका. हालांकि उसे ठीक कर दिया गया और अब दूसरे फेज की काउंसलिंग 25 अगस्त तक रद्द करनी पड़ रही है.

अरविंद कुमार चौधरी के मुताबिक, पहले फेज में 225 सीटों पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला हो चुका है. दरअसल मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए नतीजों की घोषणा जून महीने में ही हो गई थी. बिहार से अलग दूसरे राज्यों में दाखिला लगभग पूरा हो गया है, लेकिन यहां के सरकारी, निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का काम जारी ही है. सफल छात्रों की शिकायत है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में पढ़ाई काफी सस्ती है. दूसरी ओर भारत के दूसरे हिस्सों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है, लेकिन यहां तो दाखिला ही अब तक नहीं हुआ है. एक नजर बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में उपलब्ध सीटों पर

मेडिकल कॉलेज                                          कुल सीटें
पटना मेडिकल कॉलेज                                      150
दरभंगा मेडिकल कॉलेज                                    100
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, भागलपुर       100
नालंदा मेडिकल कॉलेज, पटना                            100
एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर                               100
अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज, गया                  100
IGIMS, पटना                                                  100
गर्वमेंट मेडिकल क़ॉलेज, बेतिया                           100
वर्धमान मेडिकल कॉलेज, नालंदा                          100
पटना डेंटल कॉलेज, पटना                                   40
कुल                                                               990

अब बीसीईसीई भले ही तकनीकी खामियों का वास्ता दे रहा हो लेकिन तकलीफों का सामना तो छात्रों को करना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्र ही कल के डॉक्टर होंगे और इनके हाथों से लाखों लोग का इलाज है. बिहार में चाहे ट्रेडिशनल कॉलेज हो या मेडिकल क़ॉलेज, हर बार यहां दाखिले लेने के दौरान छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पहले तो अखिल भारतीय स्तर पर नीट एग्जाम में सफलतापूर्वक कम्पीट करना फिर दाखिला के लिए जद्दोजहद. परेशानी आखिर छात्रों को भुगतना होता है.