सुपौल में दिखी शिक्षा विभाग की उदासीनता, स्कूल में बंद किया गया मध्याह्न भोजन
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सुपौल में दिखी शिक्षा विभाग की उदासीनता, स्कूल में बंद किया गया मध्याह्न भोजन

सुपौल के पिपरा प्रखंड के उर्दू प्राथमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन को बंद कर दिया गया है.

सुपौल के पिपड़ा उर्दू विद्यालय के प्रति शिक्षा विभाग की उदासीनता सामने आई है.

सुपौलः बिहार के सुपौल जिले मे शिक्षा विभाग की उदसीनता के कारण आए दिन नए-नए मामले सामने आते रहते हैं. ताजा मामला यह है कि एक तो बिना हेडमास्टर के स्कूल चल रहे हैं. ऊपर से स्कूल मे मध्यान्ह भोजन भी बंद हो गया है. जाहिर है सरकार के जिस दूरगामी योजना का लाभ छात्र छात्राओं को मिलना चाहिये था वो विभागीय उदसीनता की भेंट चढ़ गयी है. 

मालूम हो की पिछले 14 मई को पिपरा प्रखंड के उर्दू प्राथमिक विद्यालय जमूआहा मे हेडमास्टर चोरी छिपे एमडीएम का चावल बेचने के मामले मे जेल जा चुके हैं, और उसके बाद विद्यालय के हेडमास्टर का प्रभार स्कूल के ही एक अन्य शिक्षक निजामुद्दीन को दिया गया. 

हालांकि, उक्त शिक्षक ने तत्क्षण विभाग को लिखकर दे दिया की उसका हर्ट का इलाज हो रहा है और वो मनसिक रूप से परेशान भी हैं, इस कारण वो हेडमास्टर का प्रभार नहीं ले सकते हैं. जिसके बाद आज तक विद्यालय मे किसी अधिकारी ने झांकने की जहमत नहीं उठाई है की स्कूल कैसे संचालित हो रही है.

वहीं, हेडमास्टर नहीं होने के कारण एमडीएम भी आज से बंद हो गया है. विद्यालय के एक कनीय शिक्षक अबू नसर ने बताया की उसे एमडीएम पिपरा के अधिकारी सुषमा कुमारी ने 15 तारीख से वैकल्पिक व्यवस्था कर मध्यान भोजन चलाने का मौखिक आदेश दिया था. लेकिन बिना किसी राशि के इतने दिनों तक कैसे मध्यान भोजन चलाया जायेगा, लिहाजा अब बंद करना पड़ा है.
 
ऐसे में सवाल उठता है की सरकार आम लोगों के हित के लिए योजना चलाती है, इसे अमल मे लाने के लिए बड़ी संख्या मे अधिकारी और कर्मचारियों की बहाली की गई है. जिसके बावजूद इसके दूरगामी योजना का हस्र बुरा है. ऐसे में संबंधित अधिकारी को इसकी जवाबदेही लेनी होगी की योजना का संचालन किस परिस्थिति मे बंद की गयी है.