बाबूलाल के शाह मिलन से सियासी हलकों में हलचल, दिल्ली यात्रा के बाद क्वारंटाइन मरांडी
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बाबूलाल के शाह मिलन से सियासी हलकों में हलचल, दिल्ली यात्रा के बाद क्वारंटाइन मरांडी

उन्होंने कहा कि हम दिल्ली जाएं अपने नेता से न मिलें तो दिल्ली जाएं क्यों और अगर इस पर किसी की नींद उड़ जाए तो हम क्या कहें. मरांडी ने अमित शाह से मुलाकात पर कहा कि राज्य के हालात पर चर्चा हुई, वर्तमान परिस्थिति को साझा किया. 

बाबूलाल के शाह मिलन से सियासी हलकों में हलचल, दिल्ली यात्रा के बाद क्वारंटाइन मरांडी.

रांची: देर रात दिल्ली से रांची लौटे बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को राज्य सरकार के निर्देशानुसार रांची एयरपोर्ट पर होम क्वारंटाइन करने के लिए मुहर लगाया गया है. दिल्ली में अमित शाह से हुई मुलाकात पर बाबूलाल ने कहा कि सत्ता पक्ष में बैठे लोगों को अमित शाह फोबिया हो गया है.

उन्होंने कहा कि हम दिल्ली जाएं अपने नेता से न मिलें तो दिल्ली जाएं क्यों और अगर इस पर किसी की नींद उड़ जाए तो हम क्या कहें. मरांडी ने अमित शाह से मुलाकात पर कहा कि राज्य के हालात पर चर्चा हुई, वर्तमान परिस्थिति को साझा किया. 

बीजेपी विधायक दल के नेता ने कहा कि हमने तो बार बार कहा है कि हमारा कोई मकसद नहीं है इस सरकार को गिराने का. 
बल्कि हम तो चाहते हैं कि सरकार 5 साल चले, काम करे, हम अपनी तरफ से सहयोग करेंगे, लेकिन जन विरोधी काम होगा तो हम उसका विरोध करेंगे और सभी विरोध के लोकतांत्रिक तरीके को अपनाएंगे. 

साथ ही दिल्ली से आने के बाद क्वारंटाइन रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम तो ऐसे ही क्वारंटाइन रहते हैं. यह पहली बार था जो हम दिल्ली गए थे. बीच में एक दिन गांव जाने का हुआ, दुमका गए और लौट आए. 

उन्होंने कहा कि जब से लॉकडाउन हुआ है हम घर पर ही पड़े हैं. दुमका और बेरमो उपचुनाव पर बाबूलाल ने कहा कि चुनाव को लेकर ही देश के गृह मंत्री, हमारी पार्टी के नेता और सभी विषयों पर चर्चा हुई है.

बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के दिल्ली से रांची लौटने पर जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उनको क्वारंटाइन तो रहना ही होगा. वैसे भी वो लोग राजनीतिक तौर पर क्वारंटाइन हैं क्योंकि सभी संक्रमित हैं. वो तो दिल्ली से आए हैं, उनको क्वारंटाइन होना ही चाहिए. 

वही कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि 72 घंटे से ज्यादा दिल्ली में रुके तो वही क्वारंटाइन होना होगा. यहां आते हैं तो बड़े लोग नीति निर्माता होते हैं, नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए सरकार के आदेश का पालन करते हुए खुद क्वारंटाइन हो जाएंगे.