झारखंड: कोविड नियमों का पालन करते हुए मनाया गया मुहर्रम, कोरोना से जीत की गई दुआ
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झारखंड: कोविड नियमों का पालन करते हुए मनाया गया मुहर्रम, कोरोना से जीत की गई दुआ

कोरोना के बढ़ते संक्रमण से पूरा देश परेशान है और इस वजह से ही विभिन्न धर्मों के त्योहार भी इसकी भेंट चढ़ गए हैं. वहीं, मुहर्रम यानी गम के दिन भी लोगों को जुलूस निकालने की मनाही रही. 

कोविड के चलते इस बार मुहर्रम पर किसी प्रकार का जुलूस नहीं निकाला गया. (फाइल फोटो)

रांची: कोरोना काल और अनलॉक-4 के बीच कोविड के गाइडलाइंस के साथ राजधानी में मुहर्रम की दसवीं का दिन गुजर रहा है. राजधानी की सड़कों पर जुलूस की शक्ल में हजारों लोगों की भीड़ के साथ रहने वाले इस दिन में पहली बार कोविड के खतरे और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के अनुसार कोई जुलूस नहीं निकाला गया और वहीं, शिया समुदाय द्वारा घरों के बाहर ही हुसैन की शहादत की याद में मातम मनाए गए.

दरअसल, मुहर्रम (Muharram) महीने की आज दसवीं तारीख है यानी आज रोज-ए-आशुरा है. इन दिन को इस्लामिक कैलेंडर में बेहद अहम माना गया है, क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी. इसलिए इस माह को गम के महीने के तौर पर मनाया जाता है. 

इमाम हुसैन की शहादत की याद में ही ताजिया और जुलूस निकाले जाते हैं. ताजिया निकालने की परंपरा सिर्फ शिया मुस्लिमों में ही देखी जाती है, जबकि सुन्नी समुदाय के लोग तजियादारी नहीं करते हैं. लेकिन इस बार राजधानी की सड़कें सुनसान हैं .

राजधानी के कर्बला चौक स्थित कर्बला सहित विभिन्न अखाड़ों में नियाज फातिहा किया गया है. वहीं, शिया समुदाय द्वारा अपने ही मोहल्ले में सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन करते हुए मास्क लगाकर मातम मनाया गया.

कोरोना के बढ़ते संक्रमण से पूरा देश परेशान है और इस वजह से ही विभिन्न धर्मों के त्योहार भी इसकी भेंट चढ़ गए हैं. वहीं, मुहर्रम यानी गम के दिन भी लोगों को जुलूस निकालने की मनाही रही. लेकिन अपने-अपने घरों में रहकर लोगों ने कोरोना से जीत की दुआएं की.