मुजफ्फरपुरः बगहा के आदिवासी बहुत अतिपिछड़े इलाके के करमाहा बोदसर में रहने वाले ग्रामीण प्रशासन से चचरी पुल के निर्माण को लेकर कई दिनों से मांग कर रहे हैं. लेकिन संबंधित अधिकारी है कि ग्रामीणों की मांग को टालमटोल करने पर लगे हुए है. ग्रामीणों का कहना है कि करमाहा बोदसर गांव से होकर गुजरने वाली झिकरी पहाड़ी नहीं पर चचरी पुल ग्रामीणों का सहारा है. पुल लकड़ी का है और बाढ़ आने पर पानी के बहाव में बह जाता है. प्रशासन से कंक्रीट का पुल बनाने की मांग की गई है, लेकिन प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. कई बार पुल टूट जाता है जिसमें आने जाने पर जान मान का खतरा बना रहता है.


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हर साल ग्रामीण आपसी सहयोग से तैयार करते है पुल
स्थानीय ग्रामीण मुन्ना मुशहर का कहना है कि सुदूरवर्ती लौकरिया थाना क्षेत्र के करमाहा बोदसर गांव से होकर गुजरने वाली झिकरी पहाड़ी नदी पर चचरी पुल ही ग्रामीणों का सहारा है. जब बाढ़ में पुल बह जाता है तो ग्रामीण आपसी सहयोग से रुपये जोड़कर लकड़ी के पुल का निर्माण करते है. हालांकि स्थानीय ग्रामीण वर्षों से प्रशासन मांग करते आ रहे हैं कि इस पहाड़ी नदी पर एक अदद पुल बनवा दिया जाए. ताकि उनको अपने खेतों समेत दर्जनों गांवों में आवागमन आसान हो सके, लेकिन अब तक उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता आया है.


पानी के बहाव में बह जाता है पुल
स्थानीय निवासी घनश्याम महतो का कहना है कि किसान व ग्रामीण प्रत्येक वर्ष चार से पांच मर्तबा यहां चचरी पुल बनवाना पड़ता है. क्योंकि जब भी पहाड़ी नदी उफनाती है तो उनके द्वारा बनाया गया इस चचरी पुल को बहा ले जाती है. जिसके बाद ग्रामीण चंदा इकट्ठा करते हैं और फिर श्रमदान से चचरी पुल बनाते हैं. आपको बता दें कि इस आदिवासी बहुल इलाके के अधिकांश लोगों की खेती झिकरी पहाड़ी नदी के पार है लिहाजा उन्हें प्रतिदिन यह पुल पार कर जाना ही पड़ता है ऐसे में बाढ़ के दिनों में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.


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