जहरीली शराब से हुई मौत पर एनएचआरसी की रिपोर्ट को लेकर बिहार में सत्ता पक्ष, विपक्ष में नोकझोंक
बिहार के सारण जिले में पिछले साल जहरीली शराब के सेवन से 40 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एक रिपोर्ट पेश की थी. जिसके बाद उस रिपोर्ट को लेकर अब सियासत तेज हो गई है.
सारणः बिहार के सारण जिले में पिछले साल जहरीली शराब के सेवन से 40 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एक रिपोर्ट पेश की थी. जिसके बाद उस रिपोर्ट को लेकर अब सियासत तेज हो गई है. रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच शुक्रवार को तीखी नोकझोंक हुई.
रिपोर्ट में प्रशासन को ठहराया गया दोषी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की इस रिपोर्ट में सारण जहरीली शराब कांड के लिए प्रशासन को दोषी ठहराया गया था. मीडिया के एक वर्ग में आई खबरों के अनुसार पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब के सेवन से होने वाली मौत पर एनएचआरसी ने संज्ञान लिया था. रिपोर्ट में एनएचआरसी के निष्कर्ष के अनुसार, जहरीली शराब के सेवन से केवल 38 लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि की गई थी. जबकि इसकी तुलना में मरने वालों की संख्या 70 से अधिक थी.
सदन में उठाया गया मामला
वहीं बिहार विधान परिषद के बाहर संवाददाताओं से भाजपा विधान परिषद (एमएलसी) संजय मयूख ने कहा कि ‘मीडिया में आई खबरों को ध्यान में रखते हुए मैंने सदन के भीतर इस मामले को उठाया. सरकार पर सही आंकड़े छिपाने का आरोप है और हम सरकार से इस पर जवाब मांगते हैं. खबरों में कहा गया है कि एनएचआरसी ने आरोप लगाया है कि प्रशासन शोक संतप्त परिवार के सदस्यों को मौत की सही वजह बताए बिना दाह संस्कार के लिए शवों को ले जाने के लिए मजबूर कर रहा था.’
हालांकि विधान परिषद के सदस्य और बिहार के मंत्री अशोक चौधरी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘मुझे ऐसी किसी भी एनएचआरसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है. अगर ऐसी कोई रिपोर्ट है भी तो मैं जानना चाहूंगा कि एनएचआरसी ने किस स्रोत से इसकी जानकारी एकत्र की है. प्रशासन ने मौत के आंकड़ों को कम करने की कोशिश की, यह पूरी तरह से गलत है.’ चौधरी ने कहा कि ‘नियम के तहत अप्राकृतिक कारणों से मरने वालों के परिवार के सदस्यों को अनुग्रह राशि मिलती है. राशि सीधे बैंक खातों में भेज दी जाती है. हम जानना चाहेंगे कि क्या एनएचआरसी अफवाहों के आधार पर अपने निष्कर्ष पर पहुंचा है.’
बिहार में साल 2016 के अप्रैल में पूर्ण शराबबंदी लागू किए जाने के बाद से राज्य के इतिहास में पिछले साल दिसंबर में यह सबसे बड़ी शराब त्रासदी हुई थी. भाजपा नेताओं ने दावा किया था कि जहरीली शराब के सेवन से मरने वालों की संख्या 100 से अधिक थी. हालांकि सरकार ने जोर देकर कहा था कि मरने वालों की संख्या 38 थी और जहरीली शराब के सेवन से लगभग 50 हताहतों की मीडिया रिपोर्ट भ्रामक थी.
इनपुट-भाषा
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