Motihari: मोतिहारी में सिविल सर्जन कार्यालय से जुड़े एक 'गजब की कहानी' का खुलासा हुआ है. दरअसल, सिविल सर्जन कार्यालय (Civil Surgeon Office) ने एक जिंदा डॉक्टर को मृत बना दिया.


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मामला सिर्फ इतना ही नहीं है बल्कि पैसों के बंदरबांट के लिए डॉक्टर के फर्जी कागजात भी लगा दिए गए. मामला बकाया भुगतान का है. पेश किए गए कागजात में डॉक्टर के एम्पलाई डीटेल्स में मोबाइल नम्बर डॉक्टर की बजाए  सिविल सर्जन के स्टेनो का दिया गया है.


डॉ अमृता जायसवाल जिन्दा हैं लेकिन सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद के पत्र में उन्हें मृत लिख दिया गया है. जिस सिविल सर्जन कार्यालय से तमाम मेडिकल भुगतान के सर्टिफिकेट जारी होते हैं, उसी सिविल सर्जन ने डॉक्टर अमृता जायसवाल के विषय में मृत लिख दिया. लेकिन जब इस बात का खुलासा हुआ कि डॉक्टर तो जिन्दा हैं तो सिविल सर्जन कार्यालय के एक-एक बाबू का सिर चकराया हुआ है. सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद के स्टेनो मनोज शाही परेशान हैं और अब स्टेनो अपने चाल में फंस गए हैं.
 
सिस्टम के लापरवाह कार्यशैली की खुली पोल
मामला साल 2008 से ही ड्यूटी से गायब डॉ अमृता जायसवाल से जुड़ा हुआ है. डॉ अमृता जायसवाल मोतिहारी में  2008 तक कार्यरत थीं लेकिन डॉ जायसवाल की तरफ से सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद के स्टेनो मनोज शाही ने सिविल सर्जन को अंधेरे में रखकर उन्हें बताया कि डॉ जायसवाल ने वर्ष  2013 में  वीआरएस ले लिया है.


इसलिए उन्हें सेवा लाभ सहित अन्य भुगतान करने का आदेश दिया जाए. सिविलसर्जन अखिलेश्वर प्रसाद ने भुगतान का आदेश भी कर दिया लेकिन भुगतान की राशि काफी बड़ी थी लिहाजा मोतिहारी के सिविलसर्जन अखिलेश्वर प्रसाद ने डॉ अमृता जायसवाल से सम्बंधित कागजात को तलब किया.


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जानकारी मांगने पर पता चला कि डॉ अमृता जायसवाल वर्ष 2008 से  ड्यूटी से गायब हैं तो सिविल सर्जन का सिर चकराया गया कि कैसे उन्होंने डॉ जायसवाल के वर्ष 2006 से लेकर 2013 तक के वेतन का भुगतान, सेवा लाभ, ग्रुप बीमा की राशि  सहित अन्य भुगतान करने का आदेश कर दिया है. लिहाजा सिविल सर्जन ने आनन-फानन में त्रिस्तरीय जांच टीम का गठन किया, जांच टीम के सामने जो हकीकत आई उसे जानकर लोग हैरान रह गए.
 
जांच रिपोर्ट से हुआ गड़बड़ी का खुलासा
डॉ अमृता जायसवाल छौड़ादानो प्रखंड के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र  बेला में वर्ष 2006  तक पदस्थापित थी  और उनका वेतन 2006 तक भुगतान हुआ है, उसके बाद का भुगतान या हाजिरी का कोई कागजात कार्यालय में उपलब्ध नहीं है.


यानी साल 2006 के बाद से डॉ अमृता जायसवाल कहां हैं, इसकी कोई जानकारी स्वास्थ्य महकमे को नहीं है. जांच में और भी दिलचस्प खुलासा हुआ. डॉ अमृता जायसवाल के एम्पलाई डीटेल्स में जो मोबाइल नम्बर 7544044040 दिया गया है. दरअसल, वो सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद के स्टेनो मनोज शाही का मोबाइल नंबर है.


आधार कार्ड मुम्बई का है और एम्पलाई डीटेल्स में डॉ जायसवाल का पता मोतिहारी का है तो  बैंक अकाउंट पटना का है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब डॉक्टर के भुगतान का कागजात 2021 में प्रस्तुत किया गया तो डॉक्टर के एम्पलाई डिटेल्स में उनका फोन नम्बर या फिर उनका पता क्यों नहीं दिया गया है?


(इनपुट- पंकज)