Muzaffarpur News: बिहार में लगातार पुलों के गिरने से सरकार की खूब किरकिरी हो रही है. वहीं सरकारी अधिकारी लापरवाह बरतने से बाज नहीं आ रहे हैं. अब मुजफ्फरपुर में एक पुल के गिरने की आशंका जताई जा रही है. दरअसल, यहां 10 वर्ष पहले बने पुल का एप्रोच पथ पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुका है. अब पुल के पाया में अभी से दरारें पड़ गई हैं. लोगों को कहना है कि पुल को बनाकर छोड़ दिया गया है. कोई देखभाल नहीं की जा रही है. मेंटिनेंस नहीं होने के कारण इतना कमजोर हो गया है कि कभी भी धरासाई हो सकता है. पुल पर चलने से लोग अब परहेज करने लगे हैं. पुल को बनाने में ढाई करोड़ की लागत आई थी.


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लोगों का कहना है कि यह पुल मीनापुर विधानसभा क्षेत्र के गोसाईपुर टेंगरहा टोले मछुआ कोइली गांव में सांसद के फंड से तकरीबन 10 वर्ष पहले ढाई करोड़ की लागत से पुल बना था. इसके एक पाया में दरार आने से कभी भी ध्वस्त हो सकता है. पुल का एप्रोच पथ पहले बी बारिश में क्षतिग्रस्त हो चुका है और इतना खतरनाक हो गया है कि कोई व्यक्ति विपरीत दिशा से आए तो सीधे पुल के नीचे गिर जाएगा. बता दें कि बिहार में जहां एक तरफ लगातार पुल पुलियों का गिरना जारी है और उसको लेकर सियासत चरम सीमा पर है.इसके बाबजूद अभी भी संबंधित अधिकारी जर्जर पुल पर संज्ञान लेते नजर नहीं आ रहे हैं. इस कारण जी बिहार झारखंड की टीम लगातार जर्जर पुलों की रियलिटी चेक करके आम जनता आवाज को सरकार से लेकर अधिकारियों तक पहुंचाने का काम कर रही है. 


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ऐसे में आज जी बिहार झारखंड की टीम मीनापुर विधानसभा क्षेत्र के गोसाईपुर टेंगरहा टोले मछुआ कोइली गांव पहुंची और वहां के आम लोगों से बातचित की तो कहा कि जर्जर पुल और एप्रोच पथ की मरम्मती के लिए कई बार जिला प्रशासन के यहां शिकायत की, लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई है. यह पुल इतना खतरनाक है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. लोगों ने कहा कि दर्जनों गांव के लोगों को प्रखंड मुख्यालय से ले कर जिला मुख्यालय जाने के यही पुल का रास्ता सुगम है, लेकिन एक साइड का एप्रोच पथ वारिस के पानी में बह गया है और दूसरे साइड से होकर छोटी बड़ी सभी गाड़ियां गुजरती है. लोगों को भय बना रहता है. यहां तक कि पुल के पाया में भी दरार आ चुकी है. नदी में पानी आ जाता है तो पुल भी ध्वस्त हो सकता है. अभी से भी पुल का मरम्मती कर दिया जाता तो पुल को ध्वस्त होने से बचाया जा सकता है.


रिपोर्ट- मणितोष कुमार