Nalanda:  बिहार के नालंदा में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसको जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे. यहां एक केस में जज ने आरोपी को सजा की बजाए बरी कर दिया. दरअसल, पूरा मामला प्रेम-प्रसंग से जुड़ा है. 2019 में इस किशोर ने 17 साल की लड़की को भगा कर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया जिससे एक बच्ची पैदा हो गई. 


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सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा
जज मानवेंद्र मिश्र ने अपने बोर्ड के सदस्य उषा कुमारी और धर्मेंद्र कुमार के साथ मिलकर यह फैसला लिया कि अगर लड़के को सजा हो जाती है तो लड़की और उसकी 4 महीने की मासूम की जिंदगी खराब हो जाती है, यानी इस संगीन मामले में लड़के को आजीवन कारावास तय माना जा रहा था. लेकिन न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि हर अपराध के लिए सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा. यह सही है कि किशोर में नाबालिग लड़की को भगाकर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए जिससे एक बच्ची पैदा हुई . लेकिन अब वह बच्ची 4 माह की हो चुकी है.


थाने को दिया देखभाल का निर्देश
अदालत ने कहा कि बच्ची और उसकी मां को उसके परिजन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे मैं किशोर को दंडित करने से तीन नाबालिगों का भविष्य अंधकार में हो सकता है. यही नहीं जज ने अपने फैसले में संबंधित थाने को भी इसकी देखरेख करने का निर्देश दिया है. दरअसल, 2019 में इस किशोर ने नूरसराय थाना इलाके की एक नाबालिग के साथ अंतरजातीय प्रेम विवाह रचा लिया था, जिसके बाद लड़की के परिजनों ने इस लड़के के ऊपर शादी की नीयत से अपहरण करने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी.


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'लड़की बोली भगाया नहीं अफनी मर्जी से आयी हूं'
इधर, लड़की ने कोर्ट में बयान दिया कि उसका अपहरण नहीं किया गया था बल्कि वह अपनी मर्जी  से गई थी. चूंकी लड़की नाबालिग है ऐसे में उसके इस बयान को कोर्ट नहीं मानती है. अपने फैसले में जज ने नूरसराय बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को  प्रत्येक छह महीने पर  2 वर्षों तक इस किशोर के बारे में सुरक्षा और संरक्षण के संदर्भ में प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे. साथ ही जिला बाल संरक्षण इकाई को निर्देश दिया गया है कि इस परिवार की देखभाल की योजना बनाकर स्वरोजगार अथवा स्किल डेवलपमेंट के लिए कोई कोर्स करवाना चाहें तो सरकार द्वारा चलाए जा रहे जन कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत उसे अवसर उपलब्ध कराने के लिए विधि प्रावधानों के अनुकूल सहयोग करें.


(इनपुट-दीपक विश्वकर्मा)