नालंदाः Goldie Kumari: मन में अगर दृढ़ इच्छा हो तो सफलता कदम चूमती है. इस वाक्य को एक छोटे से गांव में रहने वाली गोल्डी कुमारी ने चरितार्थ किया है. दरअसल, बिहार की नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड में गोल्डी कुमारी ने शिक्षा हासिल की वर्तमान में वह अपने परिजनों के साथ हरनौत में ही रह रही है. हरनौत स्टेडियम में ही गोल्डी कुमारी रोजाना अभ्यास भी करती है. छोटे से ग्राउंड से आज वह इंटरनेशनल तक पहुंची है. 


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गोल्डी कुमारी का पैतृक गांव बख्तियारपुर प्रखंड के मिसी है. एक हादसे में गोल्डी कुमारी अपना एक हाथ गंवाने के बावजूद वह कभी हिम्मत नहीं हारी. गोल्डी कुमारी लड़कियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन चुकी है. एक दिसंबर से 7 दिसंबर के बीच थाईलैंड में आयोजित विश्व एबिलिटी पारा यूथ गेम में वह शॉर्ट पुट में एक स्वर्ण पदक, भाला फेंक में एक कांस्य और डिस्कस थ्रो में एक कांस्य पदक जीतकर बिहार का नाम रौशन किया. 


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गोल्डी कुमारी की इस सफलता से पूरे गांव में जश्न का माहौल है. गोल्डी कुमारी ने अपनी सफलता का श्रेय परिजनों और अपने कोच को दिया है. गोल्डी कुमारी की इस सफलता से आगामी 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार सम्मान दिया जाएगा. 


गोल्डी कुमारी ने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देन है कि आज बिहार की बेटियां हर प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ रही हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेटियों को आगे बढ़ाने में बहुत मदद की है.
इनपुट- ऋषिकेश कुमार 


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