छपरा: क्या आप किसी ऐसे रेल स्टेशन को जानते हैं जहां प्लेटफार्म है, सिग्नल है, कर्मचारी भी हैं, यात्री शेड है. परन्तु यात्रियों के लिए कोई ट्रेन रुकती नहीं है. अगर नहीं जानते तो आप छपरा आइए. छपरा में तीन स्टेशन हैं. छपरा जक्शन, छपरा कचहरी और छपरा ग्रामीण जक्शन.


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छपरा जक्शन तो बारणशी रेल मंडल का सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला स्टेशन में शुमार है. तो छपरा कचहरी स्टेशन पर भी कई एक्सप्रेस और सभी पैसेंजर ट्रेन रुकती है, पर पूर्वोत्तर रेलवे और पूर्व मध्य रेल के सीमा पर पूर्वोत्तर रेल का छपरा ग्रामीण स्टेशन है. यहां 50 से अधिक यात्री गाड़ी गुजरती है, पर रेल प्रशासन द्वारा एक भी ट्रेनों का ठहराव यहां नहीं है. 


भारतीय रेल यात्री सुविधा के लिए कई तरह के स्टेशन और होल्ट का निर्माण करता है. यात्रियों की सेवा मुस्कान के साथ नारा देकर रेलवे आज भारत की लाइफ लाइन मानी जाती है. ऐसे में तत्कालीन रेल मंत्री ने छपरा शहर के तेलपा सहित सैकड़ों गांव के लिए जेपी यूनिवर्सिटी और जयप्रकाश इंजीनियरिंग कॉलेज के निकट छपरा ग्रामीण रेलवे जक्शन का निर्माण अपने कार्यकाल में कराया था. जो 2015 से शरू भी हुआ,यहां कर्मचारियों की पदस्थापना हुई. यात्री शेड भी है, परन्तु यात्रियों के लिए कोई टिकट नहीं मिलता है.


इसके साथ ही यहां यात्री गाड़ी भी नहीं रुकती है. छपरा ग्रामीण स्टेशन से छपरा थावे कप्तानगंज के लिए रेल लाइन निकलती है. परन्तु इस रास्ते से भी किसी ट्रेन का परिचालन नहीं होता है. यह स्टेशन यात्रियों के लिए नहीं बल्कि समान उतारने का जक्शन बना हुआ है.


यात्रियों का कहना है कि सारण जिला मुख्यालय के पूर्व और उत्तर के सैकड़ों गांव के यात्रियों के लिए यह स्टेशन वरदान बन सकता है. साथ ही यहां ट्रेन का ठहराव होने से जेपी यूनिवर्सिटी और जयप्रकाश इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के लिए जाम और परेशानी से छुटकारा मिलता. लेकिन रेल प्रशासन इस स्टेशन के उपयोगिता के प्रति उदासीन है.