झारखंड: महागठबंधन बनाने में जुटा विपक्ष, कांग्रेस के साथ मतभेद से हो सकती है मुश्किल
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झारखंड: महागठबंधन बनाने में जुटा विपक्ष, कांग्रेस के साथ मतभेद से हो सकती है मुश्किल

 हेमन्त हर हाल में अब महागठबंधन का अंतिम फार्मूला चाहते हैं पर महागठबंधन की तस्वीर साफ हो नहीं रही है. 

17 जनवरी को महागठबंधन तय करने को लेकर बैठक तो बुलाया है.

मदन सिंह, रांची: लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड में विपक्ष महागठबंधन बनाने की कवायद में जुटा है. हेमंत सोरेन हर हाल में अब महागठबंधन का अंतिम फार्मूला चाहते हैं पर महागठबंधन की तस्वीर साफ हो नहीं रही है. ऐसे में जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष ने 17 जनवरी को महागठबंधन तय करने को लेकर बैठक तो बुलाया है पर उससे पहले महागठबंधन में कांग्रेस के नजरिये को लेकर उनके अंदर की टीस भी अब बाहर आने लगी है.

जेएमएम ने कांग्रेस पर निशाना साधाते हुए है हुए कहा है कि गठबंधन पर कोई और बात करता है, तो सीट की संख्या पर कोई और बात करता है. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि हेमंत ये न भूलें कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और कांग्रेस के बदौलत ही हेमंत सीएम भी बने हैं.

महागठबंधन को लेकर हेमंत का दर्द कहें या जेएमएम की टीस. यह अब सुनाई देने लगा है और इसलिए जेएमएम के प्रवक्ता ने हेमंत सोरेन के बयान को सही बताते हुए कहा है कि कांग्रेस की स्थिति अभी कन्फ्यूजन वाली है. हालांकि आगामी 17 जनवरी को होने वाली बैठक में सब कुछ तय हो जाएगा. लेकिन फिलहाल जो स्थिति है उसमें कांग्रेस के कौन से नेता गठबंधन की बात करते हैं और कौन से नेता सीट बंटवारे की बात करते हैं यह कंफ्यूजन की स्थिति बनाती है और हेमंत सोरेन ने यही बात मीडिया के सामने रखा है.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि हेमंत यह ना भूले कि उनकी पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी है और कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है. हेमंत सोरेन अपने पार्टी के नेता भी हैं और कर्ताधर्ता भी हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली में रहते हैं इसलिए सभी फैसले दिल्ली से लिए जाते हैं .

साथ ही उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर काम राज्य के नेता ही करते हैं. हम लोग चाहते हैं कि हेमंत को साथ लेकर चलें और हेमंत सोरेन यह ना भूले उन्हें हम लोगों ने ही बनाया था. जिस वक्त उनका कोई उंगली नहीं पकड़ना चाहता था उस वक्त कांग्रेस उनके साथ खड़ी थी.

झारखंड में महागठबंधन बनाने को लेकर कवायद तेज है. 17 जनवरी को महागठबंधन बनाने को लेकर एक बैठक बुलाई गई है, आगामी बैठक में साफ होगा कि सारे मतभेद खत्म कर सभी पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ती है या अकेले अकेले चुनाव लड़ने की राह चुनते हैं.