झारखंड में खराब मॉनसून के कारण खरीफ फसल की खेती का बुरा हाल है. राज्य में कम बारिश के कारण धान की खेती 10 फ़ीसदी भी पूरी नहीं हो पाई है.
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रांचीः झारखंड में मॉनसून की सुस्ती से खेती पर असर पड़ा है. 18 लाख हेक्टेयर भूमि में मात्र एक लाख 57 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हो पाई है. यह लक्ष्य का मात्र 8.71 फ़ीसदी है, अगले चार-पांच दिनों तक बारिश नहीं हुई तो हो और भी बुरा हाल हो सकता है.
झारखंड में खराब मॉनसून के कारण खरीफ फसल की खेती का बुरा हाल है. राज्य में कम बारिश के कारण धान की खेती 10 फ़ीसदी भी पूरी नहीं हो पाई है. राज्य में कुल 18 लाख हेक्टेयर भूमि में मात्र एक लाख 56 हजार 709 हेक्टेयर भूमि पर खेती हो पाई है. यह पूरे धान की खेती के लक्ष्य का 8.71 फ़ीसदी है.
बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष की ए वदूद ने बताया कि ऊपरी और मध्य जमीन में नमी पर्याप्त है. अभी रोपा का समय है. झारखंड में खरीफ की फसलों में धान की खेती ज्यादा होती है, रोपनी का काम ज्यादातर जिलों में नहीं हो सका है.
ए वदूद ने कहा कि किसानों को वर्तमान परिस्थिति में धान की फसल को छोड़कर मक्का, दलहनी फसल जैसे अरहर, उड़द और सब्जी की खेती करें. कम अवधि वाले वैरायटी का चयन करें. जिसमें कम पानी लगे और उत्पादन ज्यादा हो सके.
झारखंड के कई हिस्सों में बादल छाए रहेंगे हल्की बारिश होने की भी संभावना है. वहीं, मौसम विभाग की मानें तो 24 घंटे के बाद मॉनसून एक बार फिर कमज़ोर हुआ है. हालांकि, ज़्यादा होने की संभावना है लेकिन बंगाल की खाड़ी और उत्तरी हिस्से एक्साइज़ बना हुआ है. जिसके कारण 22 जुलाई तक राज्य में आंशिक कहीं-कहीं बारिश होगी. अब तक संथाल के साहेबगंज, गोड्डा, पाकुड इन सभी ज़िलों में कम बरसा हुई है. जिसके कारण खेतों में फ़सल पर असर पड़ रहा है.