वाहनों से सबसे ज्यादा जहरीली हो रही पटना की हवा, प्रदूषण में दिल्ली को भी छोड़ा पीछे
पटना में जिस तरह से वायु प्रदूषण का स्तर था, उसने राजधानी दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया था. इसके बाद से सरकार जागी और प्रदूषण के कारणों का अध्ययन कराया गया.
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शैलेंद्र, पटना: बिहार की राजधानी पटना की सड़कों पर बेतरतीब तरीके से दौड़ने वाले वाहनों की वजह से सबसे ज्यादा प्रदूषण हो रहा है. हाल में पटना में जिस तरह से वायु प्रदूषण का स्तर था, उसने राजधानी दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया था. इसके बाद से सरकार जागी और प्रदूषण के कारणों का अध्ययन कराया गया. रिपोर्ट सामने आने पर ये सच्चाई पता चली है. अब सरकार की ओर से वाहनों की प्रदूषण जांच को दुरुस्त करने की तैयारी की जा रही है.
प्रदूषण के स्तर की जांच और इसके कारणों का सर्वे सेंटर फॉर इनवायरमेंट एनर्जी एंड क्लाइमेट चेंज और आद्री की ओर से किया गया. सर्वे से जुड़े रहे अविनाश मोहंती, जो सेंटर फॉर इनवायरमेंट एनर्जी और क्लाइमेट चेंज के डायरेक्टर हैं. उनका कहना है कि हमने 15 हजार वाहनों की जांच की, जिससे ये निष्कर्ष सामने आया है. उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से पटना में किसी ऑटो का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, लेकिन आसपास के शहरों से ऑटो खरीद कर पटना में चलाए जा रहे हैं, जो वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह हैं.
स्टडी के दौरान ये बात सामने आई है कि राजधानी की सड़कों पर धूल उड़ती है और निर्माण में मानकों का पालन नहीं किया जाता है इस होने की वजह से जो धूलकण हवा में जाते हैं, उनसे 22 फीसदी प्रदूषण फैल रहा है. इस पर नियंत्रण की भी सख्त जरूरत बताई गई है. पिछले दिनों मुख्य सचिव दीपक कुमार ने ऐसे निर्माणों पर फाइन लगाने की घोषणा की थी, जिस पर अभी तक काम नहीं शुरू हुआ है.
सर्वे के दौरान जो बातें सामने आयी हैं, उनके आधार पर प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए सरकार को सुझाव दिए गये हैं. इनमें वाहनों के प्रदूषण की जांच में सख्ती करने को कहा गया है. साथ ही सड़क पर धूलकण कम उड़ें, इसके लिए सोलिंग लगाने और सुबह के समय पानी का छिड़काव करने का सुझाव दिया गया है. ईंट भट्ठों की वजह से होनेवाले प्रदूषण की जांच समय-समय पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करता है, जिसकी ओर से कार्रवाई की जाती है. इसके और सख्ती से लागू करने का सुझाव दिया गया है.
अविनाश मोहंती का कहना है कि इन सब चीजों के अलावा उज्जवला योजना के तहत जिन लोगों को गैस कनेक्शन दिये गये हैं. वो खाली होने के बाद अपने सिलेंडर को भरवा नहीं पाते हैं. ऐसे लोगों को सरकार की ओर से सब्सिडी दिये जाने का सुझाव भी दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगर हम लोग अपने आदत में बदलाव लायेंगे, तो उससे भी प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी. हम ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करेंगे, तो इससे वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार होगा. घरों में छोटे प्लांट लगाकर हम इसमें अपनी भागीदारी तय कर सकते हैं.
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