पटनाः Ahoi Ashtami: सनातन परंपरा और हिंदू परिवारों का एक खास पर्व अहोई अष्टमी आज मनाया जा रहा है. हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है. अहोई अष्टमी का व्रत काफी महत्वपूर्ण है और इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना से व्रत करती हैं. और भगवान शंकर-पार्वती की उपासनी करती है. अहोई अष्टमी पर चांद और तारों को देखने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है.


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अहोई अष्टमी का  शुभ मुहूर्त -
अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 50 मिनट पर शुरू हुआ है. यह मुहूर्त शाम 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करती हैं.


अहोई अष्टमी व्रत करने की विधि-
जो भी माताएं ये व्रत रख रही हैं ,वो सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और व्रत रखने का संकल्प लें. अहोई माता की पूजा करने के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं. इसके साथ सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र भी बनाएं. शाम को पूजा के समय अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखें.फिर उस पर जल से भरा कलश रख दें. अहोई माता की पूजा रोली और चावल से करें. फिर माता को मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं. कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. फिर हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें. इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलें. फिर अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें.


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