भागलपुर दंगा : केंद्रीय मंत्री के आरोपी बेटे अर्जित शाश्वत ने किया सरेंडर
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भागलपुर दंगा : केंद्रीय मंत्री के आरोपी बेटे अर्जित शाश्वत ने किया सरेंडर

रामनवमी और हिंदू नववर्ष के मौके पर एक धार्मिक जुलूस के दौरान भागलपुर में दो समुदायों के बीच संघर्ष हुआ था.

गिरफ्तारी से बचने के लिए अर्जित ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने खारिज कर दिया

पटना : बीते 17 मार्च को रामनवमी तथा हिंदू नववर्ष के मौके पर बिहार के भागलपुर में एक धार्मिक जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच हुई झड़प के मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को पुलिस ने आरोपी बनाया था. अरिजित ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए भागलपुर कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिक दायर की थी. शनिवार को कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. याचिका रद्द होने के बाद अरिजित ने शनिवार देर शाम पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. 

  1. 17 मार्च को एक धार्मिक जुलूस के दौरान हुआ था दंगा
  2. धार्मिक जुलूस का नेतृत्व अरिजित शाश्वत कर रहे थे
  3. कोर्ट ने अर्जित की जमानत याचिका को खारिज किया

खुद को बताया निर्दोष
अपने समर्थकों के साथ पुलिस थाने पहुंचे अर्जित ने मीडिया को बताया कि वह निर्दोष हैं और उन्हें एक राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. अरिजित के पिता अश्विनी चौबे ने अपने बेटे पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसके लिए कांग्रेस और आरजेडी को जिम्मेदार ठहराया. 

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आपत्तिजनक गानों पर हुआ विवाद
बता दें कि 17 मार्च को एक धार्मिक जुलूस निकाला गया था. इस जुलूस का नेतृत्व अरिजित शाश्वत कर रहे थे. जुलूस में बज रहे डीजे पर आपत्तिजनक गाने बजाए जाने पर एक समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया. यह विवाद इतना बढ़ गया कि देखते ही देखते दो समुदाय के लोग आमने-सामने भिड़ गए और पथराव होने लगा. इस दौरान गोली चलने की भी खबर है. भीड़ ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और उनमें आग लगा दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने दंगाइयों को काबू करने के लिए बल का प्रयोग किया. इस दौरान कई पुलिसकर्मी सहित एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे. 

कोर्ट ने खारिज की याचिका
भागलपुर में हुए इस उपद्रव ने बिहार की राजनीति में भूचाल मचा दिया. पुलिस ने अरिजित समेत 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसमें पुलिस ने आरोप लगया कि बिना पुलिस की अनुमति के यह जुलूस निकाला गया था. अरिजित ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में याचिक दायर की थी, जिसे कोर्ट ने एक घंटे की बहस सुनने के बाद खारिज कर दिया था. 

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