बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े को इन चुनौतियों से निपटना नहीं होगा आसान
नीतीश कुमार ने कुछ दिन पूर्व एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ चले गए थे. ऐसे में सत्ता से बाहर हुई बीजेपी को विनोद तावड़े बिहार में कितना मजबूत कर पाएंगे ये बड़ी चुनौती है.
पटना: बीजेपी ने महाराष्ट्र के अनुभवी और कुशल संगठनकर्ता माने जाने वाले विनोद तावड़े को बिहार का प्रभारी बना दिया, लेकिन इनके सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमे सबसे बड़ी चुनौती भाजपा को अकेले सत्ता तक पहुंचाना है.
इसमें कोई दो मत नहीं कि बिहार में भाजपा ने प्रगति की है, लेकिन यह प्रगति उतना नहीं हो सकी है कि भाजपा अपने दम पर बिहार में सरकार बना सके.
बिहार में बीजेपी अकेले
वर्तमान में राज्य की राजनीति का जो परिदृश्य उभर कर सामने आया है, उसमे भाजपा अकेले पड़ गई है. इधर, नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही महागठबंधन की सरकार को सात दलों का समर्थन प्राप्त है.
मिशन 35 तावड़े के लिए चुनौती
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के सामने पार्टी को अपने बल पर सत्ता तक पहुंचाना चुनौती तो है ही, उससे पहले 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मिशन 35 की प्राप्ति है.
2024 तावड़े के सामने सबसे बड़ी चुनौती
भाजपा ने राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 35 सीटें अपने पक्ष में करने की तैयारी कर रही है. इसमें कोई शक नहीं कि अभी भी भाजपा के सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही माना जा रहा है.
बिहार की सत्ता में नीतीश का 17 साल से राज
गौर से देखें, तो बिहार में करीब 17 सालों से किसी भी तरह से सत्ता के शीर्ष पर नीतीश कुमार बने हुए हैं. इस बीच 2024 को लेकर नीतीश सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने के मिशन पर हैं. ऐसे में दूरदर्शी नेता, संगठनकर्ता माने जाने वाले तावड़े के सामने नीतीश से निपटना बड़ी चुनौती मानी जा रही है.
बीजेपी कार्यकर्ताओं में मलाल
महाराष्ट्र से आने वाले तावड़े के पास सरकार और संगठन दोनों में काम करने का अनुभव है. बिहार में अब तक अकेले सत्ता तक नहीं पहुंचने का मलाल भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी है.
नीतीश के अलग होने से बीजेपी खुश
तावड़े को इन झुके कंधों वाले कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करना भी चुनौती है. हालांकि नीतीश के एनडीए से बाहर होने के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह है.
विनोद तावड़े से बीजेपी को उम्मीद
बहरहाल, बिहार भाजपा को तावड़े से बहुत उम्मीद है, लेकिन आने वाले समय में इन चुनौतियों से निपटते हुए भाजपा की उम्मीदों पर कैसे खरा उतरते हैं, यह देखने वाली बात होगी.
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(आईएएनएस)