पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली दौरे के बाद अब पश्चिम बंगाल और उड़ीसा का दौरा करेंगे. हालांकि, दौरे की तारीख अभी तय नहीं है लेकिन जल्द ही इसका ऐलान होगा. अपने दौरे के दौरान नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगे. नीतीश सभी विपक्षी दलों को एकसाथ लाने के लिए दोनों नेताओं से मिलेंगे.


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जानकारी के अनुसार, नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन के साथ जाने का फैसला किया था तो उस समय पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने उन्हें (नीतीश) फोन किया था. ऐसे में नीतीश कुमार पर बनर्जी से मुलाकात करने कोलकाता जाएंगे.


दरअसल, तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली आए नीतीश कुमार ने पिछले 48 घंटे में राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, डी राजा, अरविंद केजरीवाल, ओपी चौटाला, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, शरद पवार, शरद यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की. 


इससे पहले नीतीश कुमार पटना में राजद सुप्रीमो लालू यादव और तेलंगाना की सीएम के चंद्रशेखर राव से मिले थे. दरअसल, अगर नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को देखा जाए तो साल 2024 के चुनाव के लिए सभी दल एकजुट होते दिख तो रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी और ममता बनर्जी सरीखे दावेदारों के बीच नीतीश की अगुवाई में विपक्षी दल एकजुट हो पाएंगे, ये देखने वाली बात होगी.


सूत्रों की मानें तो, अगर विपक्ष की तरफ से नीतीश कुमार को पीएम पद का चेहरा बनना है तो उन्हें ममता बनर्जी और राहुल गांधी को एकजुट करना होगा.इससे पहले विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश केसीआर भी 2019 में कर चुके हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.


वहीं, जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने भी बीते दिनों कहा था कि अगर बिहार, झारखंड और बंगाल में हम अधिक सीट जीतने में सफल हुए, तो बीजेपी सत्ता से बेदखल हो जाएगी. दरअसल, बिहार, झारखंड और बंगाल में लोकसभा सीटों को देखें तो यहां कुल 96 सीटें हैं. ऐसे में बंगाल की 42 सीट पर भी नीतीश की निगाह हैं. 


ममता बनर्जी विपक्ष की बड़ी नेता हैं और करीब एक दशक से अधिक समय से बंगाल की सीएम हैं. बिना बनर्जी के साथ आए विपक्ष को एकजुट करना नीतीश के लिए आसान नहीं है. वहीं, नवीन पटनायक एनडीए को तमाम मसलों पर समर्थन देते रहे हैं और यही कारण है कि नीतीश उड़ीसा का दौरा करना पटनायक का मन टटोलना चाहते हैं.


इधर, हरियाणा के फतेहाबाद में 25 सितंबर को एक रैली होने वाली, जिसमें विपक्षी एकता की ताकत का एहसास कराया जायेगा, लेकिन रैली में कांग्रेस नहीं होगी, जिसका साथ होना जदयू की ओर से जरूरी बताया जा रहा है. ऐसे में रैली से पहले ही ये सवाल उठ रहा है, बिन कांग्रेस शक्ति प्रदर्शन कैसे होगा. पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल की जयंती पर होनेवाली रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव शामिल होंगे. रैली को लेकर जदयू और राजद के नेता उत्साहित हैं.


वहीं, रैली में कांग्रेस को न्योता नहीं होगा, जिसकी वजह से उसके नेता शामिल नहीं होंगे, लेकिन कांग्रेस रैली का स्वागत कर रही है, तो भाजपा के नेताओं को लगता है कि पहले की तरह इस रैली का भी कोई नतीजा नहीं निकलेगा.