गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करने के मामले में मोदी सरकार ने पिछले साल का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है. सबसे जयादा लाभ पंजाब और हरियाणा के किसानों को हुआ है, जहां 41,479.91 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. यह अब तक इस सीजन में भुगतान किए गए एमएसपी का 75 फीसद से अधिक है. अब तक 11 राज्यों ने कुल 263 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है, जिसमें से 195 लाख टन यानी 74 फीसद हिस्सा पंजाब और हरियाणा का रहा है. दूसरी ओर, बिहार के किसानों को केवल 21 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है. बिहार से गेहूं की खरीद ही 9899 मीट्रिक टन की हुई है. इसलिए यहां केवल 21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. 


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अन्य राज्यों की बात करें तो राजस्थान के किसानों को 2062.71 करोड़ रुपये तो उत्तर प्रदेश के किसानों को 1766 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश के किसानों को 9706.98 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. बिहार को 20.62 करोड़ रुपये भुगतान किए गए हैं. इस तरह पंजाब और हरियाणा ने इस बार भी गेहूं के एमएसपी भुगतान के मामले में बाजी मार ली है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो एमएसपी पर 125 रुपये बोनस देने पर भी खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है. 


बताते हैं कि इस साल देश भर में 36,95,274 किसानों ने गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था पर अब तक केवल 20,81,471 किसानों ने ही गेहूं की बिक्री की है. इनमें से 18,84,225 किसानों को उनके एमएसपी का भुगतान किया जा चुका है. कुछ राज्यों में खरीद अभी एक महीने और चल सकती है. फिर भी सरकार ने पिछले साल से अधिक रकम का भुगतान अब तक कर दिया है. 


सरकार ने पिछले रबी सीजन 2023-24 में 53,456.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इस साल अब तक 55041.59 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. यह भी बता दें कि 2022-23 में केवल 177.49 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हो पाई थी और बदले में सरकार में 35,553 करोड़ रुपये भुगतान किया था. इस बार सरकार 2275 रुपये प्रति क्विंटल के रेट से गेहूं की खरीद कर रही है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में 125 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया जा रहा है.


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पंजाब के किसानों को अकेले 27,477 करोड़ रुपये तो हरियाणा के किसानों को अब तक 14003 करोड़ रुपये भुगतान किए गए हैं. बता दें कि यही दोनों राज्य सेंट्रल पूल में सबसे अधिक गेहूं का योगदान देते हैं. सेंट्रल पूल के लिए सरकार जो गेहूं खरीदती है, उसे पीडीएस सिस्टम के जरिए 80 करोड़ गरीबों में बांटा जाता है.