Patna: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह (Lalan Singh) को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है. ललन सिंह जदयू के वरिष्ठ नेता हैं. यह पहली बार नहीं हुआ है जब ललन सिंह को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिली है बल्कि इससे पहले भी सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई बड़े पदों पर रहे हैं.


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वर्तमान लोकसभा सदस्य ललन सिंह इससे पहले राज्यसभा सदस्य रहे हैं. पार्टी ने उन्हें बिहार विधान पार्षद में भी काम करने का मौका दिया है. ललन सिंह बिहार सरकार में पहली बार मांझी कैबिनेट में पथ निर्माण मंत्री बने थे. इसके बाद 2015 में जल संसाधन मंत्री की जिम्मेदारी भी उन्हें मिली थी.


जानें कौन हैं ललन सिंह
ललन सिंह का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 24 जनवरी 1955 में हुआ. ललन सिंह ने अपने कॉलेज स्तर की पढ़ाई भागलपुर यूनिवर्सिटी के टीएनबी कॉलेज से की है. सिंह टीएनबी कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन की राजनीति भी करते थे और 1974 में वह कॉलेज के छात्र संघ में सचिव भी चुन लिए गए थे. बाद में उन्होंने जयप्रकाश नारायण के साथ आंदोलन में भी हिस्सा लिया था. रेणु देवी से उनकी शादी हुई और दंपति को एक बेटी है.  


मुंगेर से तीसरी बार सांसद चुने गए ललन सिंह
मुंगेर लोकसभा से ललन सिंह तीसरी बार सांसद बने हैं. छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय ललन सिंह जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर शामिल हुए थे. राजनीति में मुखर वक्ता के तौर पर पहचान बनाने वाले ललन सिंह अप्रैल 2000 में राज्यसभा सांसद बने. जदयू के दूसरे प्रदेश अध्यक्ष बने. वे दिसम्बर 2005 से लेकर फरवरी 2010 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे, जबकि 2004 व 2009 के बाद 2019 में तीसरी बार मुंगेर से लोकसभा सांसद बने.


2014 में वे बिहार विधान परिषद के लिए हुए मनोनीत 
2014 में वे बिहार विधान परिषद के लिए भी मनोनीत हुए. 2019 में सांसद बनने से पहले तक वे विधान पार्षद ही थे. बीच के अवधि में ललन सिंह ने कुछ समय के लिए जदयू से नाता तोड़ लिया था. बिहार में जीतन राम मांझी के कैबिनेट में 2014 में पहली बार पथ निर्माण विभाग की जिम्मेदारी ललन सिंह को दी गई थी. 


ललन के मंत्री बनते ही जब पार्टी में हुई थी टूट
एक वक्त ऐसा भी आया था जब ललन सिंह के मंत्री बनाए जाने की वजह से जेडीयू में बगावत हो गई थी और 12 विधायकों के साथ ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू बीजेपी में चले गए थे. इसके बाद 2015 के फरवरी में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था. हालांकि, 2015 में दोबारा महागठबंधन सरकार बनने के बाद उन्हें नीतीश कैबिनेट में जगह मिली थी.


जब नीतीश कुमार से 2010 में की थी बगावत 
ललन सिंह एक बार 2010 के बिहार चुनाव से पहले पार्टी छोड़ गए थे. तब इन्होंने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पेट में कहां-कहां दांत है वाला चर्चित बयान दिया था. हालांकि दो साल दूर रहने के बाद ललन लौटकर आ गए थे. ललन और नीतीश का राजनीतिक रिश्ता तीन दशक पुराना है.


ललन सिंह को जीतन राम मांझी ने किया था बर्खास्त
उन्हें फरवरी 2015 में जीतन राम मांझी (Jitan Ram manjhi) ने प्रशांत कुमार शाही के साथ मंत्री के रूप में कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था. जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, तो उन्हें फिर से महागठबंधन सरकार में मंत्री के रूप में शामिल किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं.


जब लोजपा की वीणा देवी से हारे थे ललन सिंह
एक बार तो पार्टी लोकसभा में उनकी अयोग्यता की मांग करने के लिए चली गई थी, लेकिन 2013 में नीतीश कुमार के साथ अच्छे संबंध के बाद इसको रद्द कर दिया गया. उन्हें मुंगेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया था, लेकिन लोजपा की वीणा देवी ने उन्हें लगभग 1 लाख वोटों से हराया था.



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