पटना: बिहार में भाजपा कोटे के मंत्री रामसूरत राय के बड़े स्तर पर अंचलाधिकारी सहित कई अधिकारियों के स्थानांतरण पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद अब सियासत गर्म हो गई है.


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बिहार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री राम सूरत राय ने 30 जून को बड़े स्तर पर तबादला कर दिया, जिनमें 110 से ज्यादा अंचलाधिकारी, बंदोबस्त पदाधिकारी, चकबंदी पदाधिकारी समेत प्रभारी पदाधिकारी शामिल थे.


मुख्यमंत्री ने निरस्त किया तबादले का आदेश
इस तबादले मे कई तरह की गड़बड़ी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें तबादले की बात कही गई थी.


बीजेपी-जदयू में सबकुछ ठीक?
इसके बाद बिहार की सियासत में हलचल सी मच गई है. एक बार फिर जदयू और भाजपा के रिश्ते को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं.


नियमों की अनदेखी का आरोप!
बताया जाता है कि जिनका तबादला किया गया उसमे कई में नियमों की अवहेलना की गई है. नियम के अनुसार, अंचलाधिकारी का तबादला अंचल में तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद किया जाता है लेकिन इस बार वैसे लोग भी सूची में शामिल थे, जिन्होंने एक अंचल में तीन साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.


बिहार सरकार में भ्रष्टाचार का बोलबाला: राजद
इधर, विपक्ष अब सरकार पर निशाना साध रही है. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है. भाजपा और जदयू में कहीं तालमेल नहीं है जिसका प्रभाव सरकार पर भी दिखता है. उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद सब कुछ सामने आ गया है.


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(आईएएनएस)