पटना: बिहार सरकार महत्वपूर्ण और महत्वकांक्षी योजना के तहत गंगाजल लोगों के घर तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है. एक सच्चाई यह भी है कि बिहार ने जल संरक्षण के क्षेत्र में काम नहीं किया, तो कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. 


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कई जगहों पर नाकाम साबित हो रहे ट्रीटमेंट प्लांट
बता दें कि भागलपुर, समस्तीपुर, कटिहार, बांका और पूर्णिया ऐसे जिले हैं जहां जलस्तर में कुछ हद तक कमी तो दर्ज की ही गई है. साथ ही साथ इन इलाकों के कुछ हिस्सों में पानी के अंदर फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा भी तय लिमिट से अधिक पाई जाती है. राज्य का पीएचइडी महकमा ऐसे चपकलो को उन्हें इस्तेमाल में ना रहने की हिदायत देता है. विभाग का दावा है कि वाटर ट्रीटमेंट को लेकर कई जगहों पर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए गए हैं, लेकिन जानकार यह बताते हैं कि ट्रीटमेंट प्लांट अधिकांश जगह पर नाकाफी साबित हो रहे हैं. राज्य सरकार की योजना थी कि राजधानी पटना में ओवर पानी लोगों के घर तक पहुंचाया जाए, लेकिन फिलहाल यह योजना भी अधर में नजर आ रही है. पूरे मामले पर राजनीति भी गर्म हो गई.


महत्वपूर्ण विषय पर सभी धाराओं को एकजुट करने की है जरूरत
भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केवल नाटक बाजी करने में यकीन करते हैं उन्हें ना तो पेयजल नहीं लोगों की मौलिक सुविधा से नीतीश कुमार केवल केंद्र द्वारा भेजे गए. केन्द्राश में कुछ भेजता अपना जोड़कर उसे मुख्यमंत्री योजना बनाने में जुटे है. वहीं सरकार की तरफ से वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार का मानना है कि बिहार के कुछ जिलों में वाकई पेयजल को लेकर चिंता है. कई जगहों पर पानी में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा अधिक है जिस पर सरकार काम कर रही है और जल्द से जल्द उसको फौरी तौर पर मदद दी जा रही है. लेकिन एक सच यह भी है कि पेयजल जैसे महत्वपूर्ण विषय पर सभी धाराओं को एकजुट होकर काम करने की जरूरत हैं.


इनपुट- स्वप्निल सोनल


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