Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना का दूसरा चरण शुरू हो गया है. यह जनगणना अब अपने पूरे जोर पर है. इस बार दूसरे चरण की शुरुआत के साथ सबसे पहले जाति, धर्म, मजहब, संपत्ति, रिश्तेदारी, संबंध, गाड़ी, जमीन, नौकरी, व्यवसाय, जानवरों की संख्या सभी की जानकारी ली जा रही है. ऐसे में जातीय जनगणना करनेवाले अब घर-घर जाकर लोगों स इन सबका ब्यौरा इकट्ठा कर रहे हैं. 


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इस सब के बीच बता दें कि जनगणना कर रहे कर्मियों को कई तरह की परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है. इस जनगणना के दौरान लोग अपनी जाति बताने में तो नहीं हिचकिचा रहे लेकिन अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने में उन्हें परेशानी हो रही है. लोग कर्मियों को अपनी संपत्ति की गलत जानकारी दे रहे हैं. साथ ही बता दें कि बिहार के कई हिस्सों से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं. 


इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह आ रही है कि लोग इस जनगणना के दौरान पहले तो समय देने को राजी नहीं है और ऊपर से समय दे दिया तो अपनी जमीन, मकान, आमदनी और उम्र सहित कई जानकारी या तो नहीं दे रहे हैं, गलत दायर करा रहे हैं या फिर आनाकानी कर रहे हैं.  


जनगणना कर्मियों की मानें तो लोग तो अपनी संपत्ति और जमीन एकदम कम बता रहे हैं. कई लोग पक्का मकान होने पर भी बता रहे हैं कि उनके पास कच्चा मकान है. लोग अपनी लाखों की आमदनी को हजारों में बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. 


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ऐसे में कर्मियों की मजबूरी है कि उन्हें जो बताया जा रहा है वही वह अपने कागज पर इंगित कर ले रहे हैं. फॉर्म पर वही ब्यौरा भरना उनकी मजबूरी है. कई लगो तो गणना कर रहे कर्मियों पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. यह जनगणना 15 अप्रैल से शुरू हुई है और इसे एक महीने तक चलना है. ऐसे में सरकार के खाते में कितने सही आंकड़े आएंगे यह तो समय के साथ ही पता चल पाएगा. लेकिन ऐसा जरूर सुनने में आ रहा है कि आंकड़े अभी भी सही से दायर नहीं किए जा पा रहे हैं. 


इन कर्मियों के द्वारा जो जानकारी मांगी जा रही है सरकार उसका उपयोग कई और कामों के लिए करेगी जैसे विकास से जुड़ी सरकारी परियोजनएं और अन्य ऐसे में गलत जानकारी देकर सरकार के इस मुहिम में बाद में लोगों को परेशानी ही खड़ी होगी. यह आंकड़े सरकार के पास संग्रहित होंगे. सरकार के पास वैसे भी आधार कार्ड, पैन, बैंक उकाउंट, एलपीसी, जमीन की रसीद और मालगुजारी के जरिए आपके आंकड़े पहले से मौजूद हैं. ऐसे में सरकार की तरफ से योजनाओं के लाभ के समय जब इसका मिलान होगा और जानकारी गलत निकलेगा तो आप लाभ से वंचित रह सकते हैं. हालांकि इस दौरान नेटवर्किंग की समस्या की वजह से और स्लो इंटरनेट की वजह से भी कम डाटा ही अपलोड हो पा रहा है. ऑफलाइन जितनी गणना हुई है उससे कम डाटा इसी वजह से ऑनलाइन स्टोर हो पाया है.