chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्र में इस बार किस वाहन से आ रहीं माता, जानिए कैसे तय होती है मां की सवारी
Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का पर्व आने वाला है. माता दुर्गा की आराधना का ये खास पर्व साल में 4 बार आता है. नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के नव दुर्गा स्वरूप की पूजा की जाती है, जो भक्तों को अचूक फल प्रदान करते हैं.
Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का पर्व आने वाला है. माता दुर्गा की आराधना का ये खास पर्व साल में 4 बार आता है. नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के नव दुर्गा स्वरूप की पूजा की जाती है, जो भक्तों को अचूक फल प्रदान करते हैं. मां शेरोंवाली माता की पूजा के ये खास दिन होते हैं. हालांकि मां का असली वाहन तो यही सिंह ही है, लेकिन देवी मां जब नवरात्र में भक्तों के पास आती हैं तो उनका वाहन बदल जाता है. देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं. देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश, काल और परिस्थिति पर भी इसका असर अलग-अलग होता है.
ऐसे तय तय होता है माता का वाहन
देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह दिनों के आधार पर तय होता है. सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं. इस बार नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रही है. ऐसे में इस बार देवी मां नाव पर सवार होकर आ रही हैं.
इन तथ्यों को देवी भागवत के इस श्लोक में वर्णन किया गया है.
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता ।।
वाहनों का यह होता है शुभ-अशुभ असर
माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है. इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो पानी ज्यादा बरसता है. घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है. देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं. इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है.
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।