पटना : Chanakya Niti :दुनिया के पहले अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाजशास्त्री, नीतिशास्त्री के तौर पर अपनी पहचान रखनेवाले आचार्य चाणक्य यानी कौटिल्य को हर कोई जनता है. आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के नियमों को पढ़कर आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं. चाणक्य के नीति शास्त्र में समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार से शुरू होकर देश और विदेश तक के संबंधों और नीतियों का जिक्र किया गया है. ऐसे में यह मानव जीवन नीति शास्त्र हर मनुष्य के जीवन की सफलता की कुंजी है. चाणक्य नीति आपके जीवन से जुड़ी हर सच्चाई को बयां करनेवाली है. ऐसे में आप अपने जीवन में आचार्य चाणक्य की नीतियों को स्थापित कर या इसपर चलकर बेहतर और सफल इंसान बन सकते हैं. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के जरिए अपने दुश्मनों से निपटने के कुछ खास तरीके बताए हैं. 


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आपको याद होगा कि चाणक्य ने उस समय के सबसे प्रतापी और समर्थ सम्राट धनानंद के अहंकार को कैसे चूर किया था और उसे किस गलती की सजमा मिली थी. दरअसल धनानंद को इस बात का अहंकार हो गया था कि उसे कोई पारजित नहीं कर सकता और उसके द्वारा किए गए अपमान का बदला भी कोई नहीं ले सकता ऐसे में धनानंद की यह गलतफहमी भी आचार्य चाणक्य ने एक सामान्य बालक को सबल बनाकर दूर कर दी थी.  


ऐसे में चाणक्य नीति में बताई गई इन बातों की मदद से आप अपने दुश्मन को मात दे सकते हैं. इन बातों को आप अगर अपने जीवन में उतार लें, चाणक्य नीति के इन सूत्रों पर चलना शुरू कर दें तो दुश्मन भी आपका बाल बांका नहीं कर पाएगा. शक्तिशाली दुश्मन भी आपके सामने पानी मांगने लगेगा. तो जानिए चाणक्य ने चाणक्य नीति में दुश्मन से निपटने के किन तरीकों के बारे में बताया है.


सावधान और सतर्क रहना
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में लिखा कि मनुष्य को हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए. अगर आप सावधान या सतर्क नहीं है तो कोई भी आप पर हमला कर सकता है. आपका अहित कर सकता है और तब आपके पास संभलने का वक्त नहीं होगा. ऐसे में अगर आप पहले से सतर्क हैं तो आप अपने ऊपर चले जानेवाले दुश्मन की हर चाल को भांप जाएंगे और परेशानी में फंसने से बच जाएंगे. ऐसे में आपका सावधान और सतर्क रहना बहुत जरूरी है. 


संयम नहीं खोना 
चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को जीवन में हमेशा संयमित रहना चाहिए. संयमित होना आपके पुरुषार्थ और आपकी कार्य कौशलता को बढ़ाता है. इससे आपके अंदर और बाहर एक किस्म के तेज यानी ऊर्जा का निर्माण होता है. ऐसे में कभी भी संयम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. अगर आप विपरीत परिस्थितियों में भी संयम बनाए रखेंगे तो कोई भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा चाहे वह आपका कितनी ही कट्टर दुश्मन क्यों ना हो. आप हर कठिन परिस्थिति से लड़कर बाहर निकल जाएंगे. संयम की कमी या इसे खो देना केवल स्थितियों को बिगाड़ती है. इसलिए कभी भी संयम का साथ नहीं छोड़ें. 


डर को हावी नहीं होने दें
चाणक्य नीति की मानें तो अगर आपके मन पर डर का साया हो जाए. आपके ऊपर डर हावी हो जाए तो ऐसी परिस्थिति में दुश्मन आपको बर्बाद करके छोड़ेंगे. ऐसे में एक बाद गांठ बांधकर रखनी चाहिए की हर लड़ाई शारीरिक बाहुबल से नहीं जीती जाती है, कुछ लड़ाइयां आप दिमाग के बल पर भी जीत सकते हैं. ऐसे में दुश्मन अगर बलवान है तो घबराने की जरूरत नहीं है. आप डर को परे रख उसके सामने डटे रहें आपका दुश्मन कमजोर पड़ जाएगा. 


धैर्य बनाए रखें
धैर्यवान मनुष्य का जीवन कभी संकट या अभावों से ग्रसित नहीं होता है. ऐसे में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आपको धैर्यवान बनना है. ताकि कठिन से कठिन परिस्थिति में आप तटस्थ रह सकें. क्योंकि चिंता चिता के समान है और चिंता से किसी भी समस्या का हल संभव नहीं है. अगर आप चिंता में घिरे होंगे तो आपका दुश्मन खुश होगा और आपकी इस परिस्थिति का फायदा उठाएगा. 


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