Chanakya Niti: जानवरों और मनुष्यों में ये चार गुण होते हैं समान, अगर नहीं बदला तो हो जाएंगे बर्बाद
चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत आज दुनिया भर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं. चाणक्य के सिद्धांत अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति, नीति शास्त्र या राजनीति शास्त्र हो इन्हें सबसे ज्यादा लोग आत्मसात करते हैं. इन नीतियों का अध्ययन बड़े पैमाने पर किया जाता है.
Chanakya Niti: चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांत आज दुनिया भर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं. चाणक्य के सिद्धांत अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति, नीति शास्त्र या राजनीति शास्त्र हो इन्हें सबसे ज्यादा लोग आत्मसात करते हैं. इन नीतियों का अध्ययन बड़े पैमाने पर किया जाता है. चाणक्य ने जहां लोगों के जीवन से जुड़ी हर बात को लेकर अपने नीति शास्त्र में बताया है. वहीं चाणक्य ने बताया है कि कैसे मनुष्य और पशु एक दूसरे से अलग हैं और साथ ही यह भी बताया है कि मनुष्यों और पशुओं में कौन-कौन से गुण समान हैं.
चाणक्य के नीति शास्त्र में आपको करियर, धन, तरक्की, विवाह, मित्रता, दुश्मनी और व्यापार आदि से संबंधित समस्याओं के समाधान का रास्ता भी चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बताया है. ऐसे में उन्होंने बताया कि कैसे मनुष्य पशुओं से अलग है और कौन सी बात उन्हें पशुओं से अलग करती है.
नीति शास्त्र के इस श्लोक को ध्यान से पढ़ें तो पता चलेगा.
आहारनिद्राभयमैथुनानिसमानि।
चैतानि नृणां पशूनाम्।।
ज्ञानं नराणामधिको विशेषो।
ज्ञानेन हीनाः पशुभिः समानाः।।
चाणक्य की मानें तो भोजन, नींद, भय और समागम ये आदमियों और जानवरों के लिए जंजीर के समान है. दोनों में ये बराबर होते हैं. लेकिन इन सब के बीच जो चीज जानवरों से मनुष्य को अलग करती है वह है ज्ञान. ऐसे में ज्ञान मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता है इसलिए जो व्यक्ति ज्ञान से रहित हो तो वह पशु के समान है. ऐसे में चाणक्य ने बताया कि कैसे मनुष्य को जानवरों के साथ मिलते-जुलते इन चार चीजों पर ध्यान रखने की जरूरत है नहीं तो उनका जीवन पशु के समान हो जाएगा.
भोजन
चाणक्य कहते हैं कि भूख पशु और मनुष्य दोनों को लगती है. भूख के बाद दोनों ही परेशान हो जाते हैं. ऐसे में अपनी क्षुधा को समाप्त करने के लिए वह दोनों एक ही तरह के उपक्रम करते हैं. ऐसे में भूख को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन मनुष्य इस पर कंट्रोल जरूर कर सकता है. चाणक्य यह भी कहते हैं की जीभ को ज्यादा स्वादिष्ट व्यंजनों का आदी ना बनाएं नहीं तो परेशानी होगी.
निद्रा
चाणक्य के अनुसार पशु और मनुष्य दोनों को एक समान नींद आती है. लेकिन मनुष्य को अपनी नींद पर काबू पाने का आदी होना चाहिए. क्योंकि कई बार निद्रा आपपके काम बिगाड़ देती है.
भय
मनुष्य और जानवर दोनों के अंदर एक किस्म का भय होता है. ऐसे में मनुष्य इस भय से लड़ने में सक्षम होता है और उसे ऐसा करना भी चाहिए.
समागम
समागम या मिलन या दोनों जानवर या मनुष्यों में यह गुण समान रूप से होता है. मनुष्य चुकि अच्छे बुरे की समझ रखता है ऐसे में उसे इस पर विचार करने की जरूरत होती है.
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