Bihar Dengue: बारिश के बीच पटना में तेजी से फैल रहा डेंगू, 30 से ज्यादा मोहल्ले हॉट स्पॉट में बदले
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Bihar Dengue: बारिश के बीच पटना में तेजी से फैल रहा डेंगू, 30 से ज्यादा मोहल्ले हॉट स्पॉट में बदले

Bihar Dengue: पटना में पिछले साल तो डेंगू शहरवासियों पर कहर बनकर टूटा था. पिछले साल यहां 19 मौत के अलावा 10 हजार लोग इससे ग्रसित हुए थे. पटना सिटी से दानापुर तक शायद ही कोई मोहल्ला डेंगू के प्रकोप से बचा था.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Bihar Dengue News: बिहार में पिछले 10 वर्षों से हर साल डेंगू महामारी का प्रकोप देखने को मिलता है. प्रदेश में मानसून आते ही डेंगू का खतरा बढ़ गया है. राजधानी पटना में अभी से 30 से अधिक मोहल्ले हॉट स्पॉट में बदल गए हैं. चिकनगुनिया का भी ग्रॉफ भी तेजी के साथ ऊपर बढ़ रहा है. जलग-जलग जलजमाव इसका बड़ा कारण है. बाजार समिति, पाटलिपुत्रा, आरपीएस मोड़, कंकड़बाग, बांकीपुर, आरपीएस मोड़, दानापुर, पटना सिटी के लोहरवाघाट, दानापुर, स्टैंड रोड, दीघा-आशियानानगर, पटेल नगर, मसौढ़ी, पटना ग्रामीण, फुलवारीशरीफ, नया गांव, बांसकोठी, दीघा, गुलजारबाग, इंद्रपुरी, कुम्हरार, एक्जीबिशन रोड, जक्कनपुर, कंकड़बाग, चित्रगुप्त नगर, भागवत नगर काली मंदिर रोड, विजय नगर, आदि मोहल्लों में जलजमाव से डेंगू-मलेरिया और हैजा फैलने का खतरा मंडरा रहा है.

बाजार समिति का बड़ा हिस्सा तालाब में तब्दील हो गया है. स्थानीय लोगों ने कहा कि कई मोहल्ले में भी पानी जमा है. इससे मच्छरों का प्रकोप अचानक बढ़ा है. पिछले वर्ष यहां डेंगू का भारी प्रकोप था. एक छात्र की मौत भी हो गई थी. इस बार भी डेंगू फैलने का डर है. बता दें कि मानसून आने से पहले प्रशासन ने डेंगू को फैलने से रोकने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह से तैयार है. नगर निगम ने भी इस बार जलजमाव नहीं होने देने का प्लान बनाया था. लेकिन धरातल पर नगर निगम की तैयारी दिखाई नहीं दे रही है.

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डेंगू से बचने के उपाय

डॉक्टरों के मुताबिक, डेंगू एडीज एजिप्टी नाम के मादा मच्छरों से फैलता है. इन मच्छरों की उम्र 01 ही महीने की होती है, लेकिन पूरे जीवनकाल में ये मच्छर 500 से 1,000 तक मच्छरों को जन्म दे देते हैं. ये मच्छर मात्र 03 फीट तक ही उड़ सकते हैं. इस कारण सिर्फ लोअर लिंब्स पर ही डंक मारते हैं. डॉक्टर के हिसाब से डेंगू के मच्छर कूलर, गमलों, फ्लावर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों और टायर, गड्ढों में भरे पानी में अंडे देते हैं. एक बार में 100 से 300 तक अंडे देते हैं, जिनसे 02 से 07 दिन में लार्वा बन जाते हैं. इसके 04 दिन बाद ये लार्वा मच्छर की शेप ले लेते हैं और दो दिन में ही उड़ने लगते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि मच्छरदानी में सोयें और अपने आसपास कहीं भी पानी ना जमा होने दें.

 

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