पटनाः Dhanvantari Ji Ki Aarti: धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है. उनका धरती पर आगमन भी इसी दिन हुआ था. मान्यता है कि धन्वंतरि जी की पूजा करने से व्यक्ति निरोग रहता है, जबकि कुबेर और लक्ष्मी जी की कृपा से इंसान को सुख, शांति और समृद्दि की प्राप्ति होती है. इनकी आरती करने से काम में 13 गुना वृद्धि होती है. भगवान की पूजा के बाद आरती करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. 


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निरोगी काया की कामना करें
कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथी को धनतेरस के दिन भगवान धन्वं‍तरि की विशेष पूजा आराधना की जाती है. इस दिन उनका जन्मदिन भी मानाया जाता है, जो समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर निकले थे. धनतेरस के दिन दरिद्रता दूर करने और निरोगी काया की कामना के साथ भगवान धन्वं‍तरि की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता हैं कि पूजा करने के बाद धन्वं‍तरि देव की आरती करने से जीवन की दरिद्रता का नाश हो जाता है.


ॐ जय धन्वन्तरि देवा, स्वामी जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा ॥


तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥


आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥


भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥


तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥


हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥


धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐजय धन्वन्तरि जी देवा॥


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