पटनाः Narak Chaturdashi Diwali 2022: कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है. और इसके बाद दीपावली, गोधन पूजा और भाई दूज (भ्रातृ-द्वितीया) मनायी जाती है. धनतेरस को मिलाकर इस तरह दीपावली पांच दिन का पर्व है. नरक चतुर्दशी के लिए कथा प्रचलित है कि श्रीकृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामके दैत्य का वध किया था. लेकिन यही अकेले एक कथा इस दिन की नहीं है. पुराणों में एक और कथा का वर्णन किया गया है. 


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राजा रन्तिदेव की कथा
इस दिन के व्रत और पूजा के संदर्भ में एक अन्य कथा यह है कि रन्ति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे. उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था पर जब मृत्यु का समय आया तो उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए. यमदूत को सामने देख राजा अचम्भित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का अर्थ है कि मुझे नर्क जाना होगा. आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है. पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूत ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया यह उसी पापकर्म का फल है.


राजा ने मांगा एक साल का समय
दूतों की इस प्रकार कहने पर राजा ने यमदूतों से कहा कि मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे वर्ष का और समय दे दे. यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया. राजा अपनी समस्या लेकर ऋषियों के पास पहुंचा और उन्हें सब वृतान्त कहकर उनसे पूछा कि कृपया इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है. ऋषि बोले हे राजन् आप कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्रह्मणों को भोजन करवा कर उनसे अनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें.


इसलिए कहते हैं रूप चतुर्दशी
राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया. इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ. उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का बड़ा महात्मय है. स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है. इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है.


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